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ओबीसी वोट की होड़ में कैसे दब गया जातिगत जनगणना का मुद्दा

-जनपथ, देश के पांच राज्‍यों में चल रहे विधानसभा चुनाव और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए जातिगत राजनीति करने वाली पार्टियां अपने-अपने वोट बैंक साधने के लिए प्रयासरत हैं। देश का ओ.बी.सी. समुदाय कुल आबादी का 50 प्रतिशत से अधिक है। जाति आधारित राजनैतिक पार्टियां इस समुदाय को अपने-अपने पक्ष में करने के लिए जी तोड़ प्रयास कर रही हैं, इसीलिए जाति जनगणना करने की...

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उत्तर प्रदेश: मंडियों की कमाई में आई 770 करोड़ रुपए की कमी, विवादित कृषि कानून बना प्रमुख कारण

-न्यूजलॉन्ड्री, उत्तर प्रदेश सरकार ने विधानसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि बीते साल मंडी शुल्क में भारी कमी आई है. जवाब के मुताबिक जहां 2019-20 में मंडी शुल्क के रूप में 1390.60 करोड़ रुपए प्राप्त हुए थे, वहीं 2020-21 में घटकर 620.81 करोड़ रुपए हो गया. मंडी शुल्क में आई इस कमी की एक वजह केंद्र सरकार द्वारा पास किए गए तीन विवादित कृषि कानूनों में से एक कृषि...

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नवीनतम उपलब्ध एनएसओ डेटा: फसल वर्ष 2012-13 और 2018-19 के बीच महंगा हुआ खेती करना

एक अर्थशास्त्री से यह सुनना लगभग तय है कि अगर सरकार के हस्तक्षेप के लिए कुछ मुफ्त या रियायती दर पर उपलब्ध है, तो लोग ऐसे सामानों / वस्तुओं का अति प्रयोग या अधिक उपभोग करते हैं. तो, सबसे अच्छा समाधान इस तरह के 'लगभग मुफ्त में उपलब्ध' या 'अत्यधिक सब्सिडी वाले' सामान या वस्तुओं के लिए एक बाजार बनाना है. एक बार जब लोग ऐसे सामान/वस्तुओं के उपयोग या...

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टमाटर की खेती से लगातार नुकसान उठा रहीं भरतम्मा पोरेड्डी अब लोबिया की खेती से कर रही हैं कमाई

-गांव कनेक्शन, आंध्र प्रदेश भारत का सबसे बड़ा टमाटर उत्पादक राज्य है, यहां पर देश में कुल पैदा होने टमाटर का 13 प्रतिशत योगदान है। हालांकि, यह एक ऐसी फसल भी है जो किसानों को बना या बिगाड़ सकती है। साल में कई बार ऐसा होता है जब किसानों को 2 रुपए किलो में टमाटर बेचना पड़ता है और और कभी-कभी, जैसे अब है, टमाटर की कीमतें कई शहरों में 50-90...

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लगातार घट रही है बीज उत्पादन में मदद करने वाले परागणकों की संख्या

-डाउन टू अर्थ, दुनिया भर में लगभग 3,50,000 पौधों की प्रजातियां हैं। सभी फूलों वाले पौधों में से आधे में बीज तैयार करने के लिए ज्यादातर परागणकों पर निर्भर करते हैं। अध्ययन के मुताबिक 82 फीसदी पौधों की प्रजातियां कीड़ों द्वारा परागित होती हैं, 6 फीसदी कशेरुकी द्वारा परागित होती हैं, जबकि हवा द्वारा केवल 12 फीसदी पौधों की प्रजातियां परागित होती हैं। इसलिए परागणकों में गिरावट के चलते जैव विविधता...

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