एक अर्थशास्त्री से यह सुनना लगभग तय है कि अगर सरकार के हस्तक्षेप के लिए कुछ मुफ्त या रियायती दर पर उपलब्ध है, तो लोग ऐसे सामानों / वस्तुओं का अति प्रयोग या अधिक उपभोग करते हैं. तो, सबसे अच्छा समाधान इस तरह के 'लगभग मुफ्त में उपलब्ध' या 'अत्यधिक सब्सिडी वाले' सामान या वस्तुओं के लिए एक बाजार बनाना है. एक बार जब लोग ऐसे सामान/वस्तुओं के उपयोग या...
More »SEARCH RESULT
बढ़ती महंगाई के बीच लगातार आठवीं बार RBI ने नहीं बदली ब्याज दरें, EMI पर भी कोई राहत नहीं
-द प्रिंट, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को उम्मीद के अनुरूप प्रमुख नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर पर बरकरार रखा. यह लगातार आठवां मौका है जबकि केंद्रीय बैंक ने रेपो दर को जैसा का तैसा रखा है. इसके साथ केंद्रीय बैंक ने कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेतों के बीच अपने मौद्रिक रुख को नरम बनाये रखने...
More »एनएसओ सर्वेक्षण: साल 2019 में उत्तर भारत के मुकाबले दक्षिणी राज्यों में ऋणग्रस्त कृषि परिवारों का अनुपात अधिक है!
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के 77वें दौर के सर्वेक्षण पर आधारित 'ग्रामीण भारत में परिवारों की स्थिति का आकलन और परिवारों की भूमि जोत, 2019', हाल ही में जारी किया गया था. यह सर्वेक्षण अन्य कई बातों के अलावा फसल वर्ष 2018-19 में किसान परिवारों की आय और वर्ष 2019 में ऋणग्रस्तता (सर्वेक्षण की तारीख) के बारे में सूचित करता है. हाल में जारी की गई इस रिपोर्ट से पहले,...
More »नवउदारवाद और राष्ट्रवाद के बीच में खेती-किसानी का भविष्य
-न्यूजक्लिक, सभी जानते हैं कि तीसरी दुनिया के देशों में मुक्ति का संघर्ष जिस साम्राज्यविरोधी राष्ट्रवाद से संचालित था, वह उस पूंजीवादी राष्ट्रवाद से बिल्कुल भिन्न प्रजाति की चीज थी, जिसका जन्म सत्रहवीं सदी में यूरोप में हुआ था। पश्चिम में इस तरह की प्रवृत्ति है, जिसमें प्रगतिशील भी शामिल हैं, जो राष्ट्रवाद को एकसार तथा प्रतिक्रियावादी श्रेणी की तरह देखती है। वे साम्राज्यविरोधी राष्ट्रवाद तक को यूरोपिय पूंजीवादी राष्ट्रवाद के...
More »आवरण कथा/बैंकिंग व्यवस्था/भगोड़ों की मौज, भंवर में फंसे बैंक
-आउटलुक, “एनपीए बढ़ा, बैंकों को गहराते संकट से उबारने के उपाय ऊंट के मुंह में जीरे के सामान, गलतियों से सबक सीखने के प्रति लापरवाही, दिवालिया संहिता से सवालिया घेरे में बैंक, याराना पूंजीवाद और भगोड़ों पर कोई खास अंकुश नहीं” अजब जलवा है भगोड़ों का। 23 मई की रात अचानक खबर आई कि देश के बैंकों को हजारों करोड़ का चूना लगाने वाले मोस्ट वांटेड भगोड़ों में से एक, मेहुल चोकसी...
More »