SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 91

तय होती है सुधारों की जीत-- आकार पटेल

वर्ष 2016 में केरल में हुए विधानसभा चुनावों के फलस्वरूप वहां वाम मोर्चे की सरकार बनी. कांग्रेसनीत मोर्चे की पराजय हुई और उसके सात प्रतिशत मत उसके पाले से खिसक गये. यही नहीं, वाम मोर्चे की विजय के बावजूद उसके मतों में भी दो प्रतिशत की गिरावट आ गयी. दरअसल, मतों के ये हिस्से इन दो मोर्चों के समर्थन से खिसक कर जिस एक पार्टी के समर्थन में जा पड़े,...

More »

संविधान और जनतंत्र-- मणीन्द्रनाथ ठाकुर

किसी देश का संविधान इस बात को सुनिश्चित करता है कि समाज में विधि का शासन है. यह एक तरह से आधुनिक विश्व की बड़ी उपलब्धि है. ऐसा नहीं है कि संविधान मात्र के होने से सुशासन होगा ही. लेकिन, इससे शासन की एक सीमा तय होती है. जिन संविधानों का निर्माण लंबे मुक्ति संघर्षों के बाद हुआ है, उनमें संघर्ष की आत्मा बसती है. भारतीय संविधान इसका अच्छा...

More »

बौद्धिक स्वतंत्रता और राष्ट्रहित- मणींद्र नाथ ठाकुर

ऐसा क्या हो गया है कि भारत के बुद्धिजीवियों को राष्ट्रविरोधी होने का खिताब मिल रहा है? क्या स्वतंत्र चिंतन, सरकारी नीतियों की आलोचना राष्ट्रहित में नहीं है? आखिर उन्हें क्यों लगता है कि व्यवस्था गरीबों के हित में नहीं है? और यदि यह सही है, तो फिर व्यवस्था को ठीक करने का क्या उपाय किया जा सकता है? क्या यह भारतीय बुद्धिजीवियों का दायित्व नहीं है कि वे...

More »

एक सार्वजनिक बुद्धिजीवी की दास्तान-- रामचंद्र गुहा

एडवर्ड सईद हमारी पीढ़ी के भारतीय बुद्धिजीवियों के नायक रहे हैं। एक युवा वामपंथी के नाते पूर्व पर लिखने वाले पश्चिमी विद्वानों पर उनके हमले हमें ऊर्जा देते थे। तीसरी दुनिया के देशों का समर्थक होने के नाते इजरायली अपराधों की निंदा और फलस्तीनियों के प्रति एकजुटता का उनका पक्ष हमें प्रभावित करता था। मेरे कुछ दोस्त सईद के प्रति आजीवन समर्पित रहे, हालांकि मेरा मोहभंग होने लगा था। सईद...

More »

न्याय की प्रतीक्षा में आदिवासी!- सी आर मांझी

भारतीय संविधान के आधार पर आदिवासियों की पहचान को अनुसूचित जनजातियों के नाम से जाना जाता है. परंतु यह सर्वज्ञात है कि भारत की आजादी के पूर्व और आजादी के बाद भी व्यावहारिक दृष्टिकोण से आदिवासी समुदाय में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आया है. यह समाज अपने स्तर से अपनी असली आदिवासी की पहचान एवं परिचय को संजोकर आदिम परंपरागत निष्ठा, निश्छलता, आदर्श एवं धार्मिक आस्था को बनाये रखा...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close