एक जमाना था, जब कक्षा से चुनावी भाषणों तक में ‘अहा ग्राम्य जीवन भी क्या है?' जैसे जुमले सुनने को मिलते थे. भला हो राग दरबारी के लेखक श्रीलाल शुक्ल का, जिन्होंने इस उपन्यास के मार्फत आजादी के बाद हमारे बदहाल गांवों की असलियत दिखाकर इस पाखंड पर ऐसी चोट की कि पढ़ने-लिखनेवाले लोग इस भावुक और निरर्थक मुहावरे से बचने लगे. फिर ‘90 के दशक में आर्थिक उदारीकरण...
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महिला सरपंचों की कठिन राह-- ऋतु सारस्वत
हाल में महिला एवं बाल कल्याण मंत्री ने पचायती राज संस्थाओं की निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों और प्रशिक्षकों के लिए सघन प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा ‘प्रशिक्षण के बाद निर्वाचित महिला सरपंच गांव का प्रशासन पेशेवर तरीके से चलाने में सक्षम होंगी। यह खेदजनक है कि अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए कई महिला प्रतिनिधि सामने नहीं आतीं और अपने पतियों को आगे कर देती हैं। इससे वे नाममात्र की...
More »महिला उद्यमियों की राह में पुरुषवादी नजरिये की बाधा
वुमेन फस्र्ट, प्रॉस्पेरिटी फॉर ऑल' विषय पर हैदराबाद में होने वाले आठवें ग्लोबल इंटरप्रिन्योरशिप सम्मेलन से ठीक पहले ‘कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी' की एक रिपोर्ट में महिला उद्यमियों की वैश्विक स्तर पर स्थिति की विस्तार से चर्चा दिखती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि ‘महिलाओं के साथ बिल्कुल अलग ही तरह का बर्ताव होता है। पुरुष निवेशक उनके प्रोजेक्ट में बहुत कम रुचि दिखाते हैं।' इस मामले में वैश्विक...
More »बाघ तो बच रहे हैं...पर बेटियां!! - मृणाल पांडे
खबर है कि गए सालों में हमारे देश में बाघों की तादाद बढ़ी है, लेकिन खबर यह भी है कि इस दौरान 0 से 6 साल की उम्र की बच्चियों की तादाद तेजी से घटी है। बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु है और आरक्षित श्रेणी में आता है। पर उसकी खाल, हड्डी, दिल, गुर्दा सबको एशियाई बाजारों में भारी मुनाफे पर बेचा जा सकता है इसलिए पिछले सालों में लालची तस्करों...
More »मानसिक रोगों की फैलती जड़ें-- मोनिका शर्मा
महिलाओं के सशक्तीकरण की तमाम योजनाओं और तमाम स्त्री-विमर्श के बरक्स स्त्रियों के स्वास्थ्य से जुड़े मुद््दे हाशिये पर हैं। विशेषकर मानसिक स्वास्थ्य को लेकर तो न खुद महिलाएं सजग हैं और न ही समाज और परिवार में दिमागी अस्वस्थता के मायने समझने की कोशिश की जाती है। यही वजह है कि अनगिनत बीमारियों की जकड़न से लेकर बाबाओं के फेर तक, सब कुछ यह साबित करता है कि भारत...
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