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आधी आबादी के बिना कैसे पूरा हो विकास का सपना

गत महीने फेसबुक द्वारा किये एक सर्वे में यह बात सामने आयी कि भारत में हर पांच में से चार महिलाएं उद्यमी बनने की क्षमता रखती हैं, बशर्ते उनके सशक्तीकरण के प्रयास किये जायें. शोध के मुताबिक यदि अभी से शुरुआत की जाये, तो वर्तमान व्यवसाय और रोजगार के समस्त लक्ष्यों को सिर्फ 52 फीसदी महिलाओं के दम पर ही वर्ष 2021 तक ही पूरा किया जा सकता है. फिर...

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कपास की खेती का नया बिजनेस मॉडल

भारत में अभी भी 90 फीसदी कपास की खेती पारंपरिक ढंग से होती है और खेती में जेनेटिकली मोडिफाइड सीड का उपयोग होता है. एक अमेरिकी कंपनी की मदद से भारत में ऑर्गेनिक कॉटन की खेती की जा रही है. ऑर्गेनिक कॉटन से बने कपड़ों का बाजार विकसित हो रहा है. अगर यह प्रयोग सफल हो गया तो किसानों को मुनाफा तो होगा ही, आत्महत्या की नौबत नहीं आयेगी. खरबों...

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गांवों में किफायती व गुणवत्तापूर्ण प्री-स्कूलिंग

यह बात वर्ष 2002 की है़ आइआइटी मद्रास से इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर इनफोसिस में नौकरी कर रहे उमेश मल्होत्रा टीवी पर एक डॉक्यूमेंट्री देख रहे थे, जो ग्रामीण परिवेश में रहनेवाले बच्चों की शिक्षा से जुड़ा था़ तब उनके मन में एक विचार आया कि क्यों न ऐसे क्षेत्रों में लाइब्रेरी की शुरुआत की जाये, जिनमें बच्चे अपनी मर्जी से किताबें लेकर उन्हें पढ़ सकें. इस योजना पर...

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ताकि बैंकों की साख कायम रहे- एन के सिंह

हेनरी पॉलसन के मुताबिक, 'अगर कोई आर्थिक-तंत्र बिखरता है, तो फिर उसे पटरी पर लाना वाकई बहुत-बहुत मुश्किल हो जाता है।' भारत का वित्तीय क्षेत्र अभी गंभीर संकट में उलझा हुआ है। और यह संकट मुख्यत: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों, यानी एनपीए के कारण पैदा हुआ है। 31 दिसंबर, 2015 तक 24 सूचीबद्ध सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का कुल एनपीए 3,93,035 करोड़ रुपये था।   अगर इसमें जोखिम वाले...

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रघुराम राजन की टिप्पणी के बाद जीडीपी पर कोहराम

किसी भी देश के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) का निर्धारण एक जटिल अर्थशास्त्रीय प्रक्रिया होती है. इसमें अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र के उपलब्ध आंकड़ों, मुद्रास्फीति तथा आधार वर्ष के आंकड़ों के समायोजन से कुल उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य तय किये जाते हैं. पिछले साल भारत सरकार ने जीडीपी के आकलन की प्रक्रिया में बड़ा फेरबदल किया, जिसे लेकर उद्योग जगत, अर्थशास्त्रियों और नीति-निर्धारकों में चर्चा चल रही है....

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