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माइक्रोफाइनांस और गरीबी- भरत झुनझुनवाला

भारत सरकार का गरीब तबके को छोटे ऋण यानी माइक्रोफाइनेंस देने पर जोर है. इन ऋणों को अधिकतर महिलाओं के स्वयं सहायता समूह के माध्यम से वितरित किया जाता है. सोच है कि ऋण से महिलाएं बकरी, दूध, परचून, फेरी आदि के धंधे कर सकेंगी. उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता मिलेगी और परिवार की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी. इसी तरह से बांग्लादेश के मोहम्मद युनूस द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक द्वारा करीब 40 लाख महिलाओं...

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परमार्थ में पूंजी- सुभाष गताडे

जनसत्ता 5 नवंबर, 2012:खबर है कि सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में भारतीय कंपनी अधिनियम में संशोधन का विधेयक पेश करेगी। कहा जा रहा है कि कॉरपोरेट क्षेत्र की सामाजिक जिम्मेदारी को प्रस्तुत अधिनियम में शामिल करने को लेकर लंबे समय से चल रही चर्चाओं, बहस-मुबाहिसे की परिणति संशोधित अधिनियम की धारा-135 में दिखाई देगी। यह प्रस्तावित किया जा रहा है कि हर वह कंपनी, जिसकी खालिस कीमत पांच सौ करोड़...

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बुनकरों के लिए 3884 करोड़ की ऋण माफी

सरकार ने हथकरघा बुनकरों और उनकी सहकारी समितियों को 3884 करोड़ रुपये की ऋण माफी का तोहफा देते हुए पूर्वोत्तर क्षेत्र में जियो टेक्सटाइल के संवर्धन के लिए 500 करोड़ रुपये की पायलट योजना शुरू करने की घोषणा की है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने 2012-13 के लिए आम बजट पेश करते हुए बुनकरों के लिए 3884 करोड़ रुपये की ऋण माफी सहित वस्त्र उद्योग को अनेक तरह की छूट के...

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11 साल में नौ लाख लोगों को मिला रोजगार

रांची : राज्य गठन के बाद से अब तक उद्योग, आइटी व पावर सेक्टर में 75 हजार करोड़ रुपये का निवेश हो चुका है. वहीं 9.62 लाख लोगों को रोजगार मिला है. इसमें प्रत्यक्ष रूप से 1.52 लाख लोगों को नौकरी मिली है. साथ ही अप्रत्यक्ष रूप से 5.5 लाख लोगों को रोजगार मिला है. हालांकि रोजगार देने के मामले में लघु उद्योग क्षेत्र अव्वल है. वहीं सिल्क हैंडीक्रॉफ्ट व हैंडलूम क्षेत्र...

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