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अलोकतांत्रिक भारत और आरक्षण--- केसी त्यागी

गत सप्ताह एससी-एसटी एक्ट में संशोधन का विरोध करते सवर्णों द्वारा ‘भारत बंद' का आह्वान किया गया था. इस मुद्दे पर भी बयानबाजी के जरिये अगड़ी-पिछड़ी जातियों को बांटने की राजनीतिक पहल हुई. यह पहली घटना नहीं है. पिछड़ों को प्राप्त आरक्षण समाप्त करने, अगड़ों के साथ पक्षपात करने जैसे भ्रामक दुष्प्रचार बतौर हथकंडे समय-समय इस्तेमाल होते रहे हैं. समझना होगा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15-4 के तहत...

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जाति जनगणना का अमृत और विष-- बद्री नारायण

अन्य पिछड़े वर्ग की आबादी के आंकड़े जमा करने की घोषणा हो गई है। 2021 की जनगणना में इन आंकड़ों को संकलित किया जाएगा। इसके पहले यह काम 87 साल पहले 1931 की जनगणना में हुआ था। साल 1980 में मंडल कमीशन रिपोर्ट ने भारतीय समाज में ओबीसी के रूप में 1,257 जातियों और 52 प्रतिशत जनसंख्या को चिह्नित किया था। 2021 की जनगणना में अगर ये आंकडे़ संकलित होते...

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न्याय की प्रतीक्षा में आदिवासी!- सी आर मांझी

भारतीय संविधान के आधार पर आदिवासियों की पहचान को अनुसूचित जनजातियों के नाम से जाना जाता है. परंतु यह सर्वज्ञात है कि भारत की आजादी के पूर्व और आजादी के बाद भी व्यावहारिक दृष्टिकोण से आदिवासी समुदाय में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आया है. यह समाज अपने स्तर से अपनी असली आदिवासी की पहचान एवं परिचय को संजोकर आदिम परंपरागत निष्ठा, निश्छलता, आदर्श एवं धार्मिक आस्था को बनाये रखा...

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जाति से आगे नहीं सोचती राजनीति-- बद्री नारायण

जातियों का उद्भव राजनीति के लिए नहीं हुआ था। मगर आज जातियां भारतीय राजनीति को आधार दे रही हैं। कहते हैं कि जातियों का उद्भव व्यवसायों व पेशों से जुड़ा था। पहले पेशे से ही जातियां निर्धारित होती थीं। फिर ये ‘जन्मना' अर्थात जन्म से जुड़ गईं। आज के दौर में, जब जातियों को ‘पहचान ' से जोड़कर उनका आक्रामक राजनीतिक इस्तेमाल किया जाने लगा है, तब इनकी एक नई...

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अस्मिता की राजनीति से परे-- मणींद्र नाथ ठाकुर

भारतीय जनतंत्र में अस्मिता की राजनीति का प्रभाव काफी समय से रहा है. पिछले कुछ वर्षों में ऐसा लगने लगा था कि शायद इसका युग अब समाप्त हो जायेगा. लेकिन अब इसके विकृत रूप के उभार की संभावनाएं बढ़ती दिख रही हैं.     बिहार-बंगाल में दंगे, राजपूती शान के नाम पर पद्मावत फिल्म के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन, आरक्षण के लिए विभिन्न जातियों का आंदोलन, दलितों का राष्ट्रव्यापी बंद और राष्ट्रवाद व धर्म...

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