देश के चौदह बड़े राज्यों के ग्रामीण इलाके में लोगों को रोजाना 2400 किलोकैलोरी का भोजन भी हासिल नहीं है और गुजरात के ग्रामीण अंचल प्रति व्यक्ति प्रतिदिन कैलोरी की खपत के मामले में सबसे पीछे हैं। बीते अक्तूबर में प्रकाशित नेशनल सैम्पल सर्वे की एक रिपोर्ट से खुलासा होता है कि हरियाणा, पंजाब और राजस्थान को छोड़कर अन्य सभी 14 बड़े राज्यों के ग्रामीण अंचलों में लोगों को प्रति...
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अब शहरी गरीबों को घर के लिए मिलेगा सस्ता कर्ज
सरकार ने ‘2022 तक सभी के लिए घर' योजना को मंजूरी देते हुए शहरी गरीबों और झुग्गियों में रहने वालों के लिए कम ब्याज दर पर सस्ते घर का रास्ता साफ कर दिया है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट के आर्थिक मामलों की बैठक में शहरी गरीबों के लिए इंटरेस्ट सब्सिडी की योजना पर मुहर लगा दी गई है। इस योजना के तहत शहरी गरीबों...
More »प्रचंड गरमी पर उबलती बहस- इला भट्ट
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विश्व, विशेष रूप से भारत, गरीबी के मुद्दे पर एक साथ नहीं आया है, जैसा कि यह जलवायु परिवर्तन पर एक साथ आया है. ये दोनों आपस में जुड़े हुए हैं. इसलिए, मैं भारत सरकार से आग्रह करूंगी कि देश का आइएनडीसी तैयार करते समय इसका ध्यान रखे कि क्या हमारे आइएनडीसी गरीबी को कम करने की दृष्टि से कार्बन उत्सजर्न को कम करने के लिए...
More »जीडीपी का तड़का और 20 करोड़ लोगों की भुखमरी- आशुतोष ओझा
नई दिल्ली। मोदी सरकार पर कॉरपोरेट की पैरोकार होने के आरोप लगते हैं। ये आरोप सही हैं या गलत, इस पर बहस हो सकती है। लेकिन,सरकार के एक साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पूरी कैबिनेट जिस तरह उपलब्धियों का बखान और मीडिया के जरिए ढिंढोरा पीट रही है, वह संस्कृति निश्चित रूप से कॉरपोरेट जैसी ही लगती है। सरकार की बीते एक साल की उपलब्धियों के शोर...
More »उपलब्धियों से अधिक चुनौती -- अजय बोस
केंद्र की सत्ता में एक साल पूरे होने के अवसर पर भाजपा चाहे कितना भी जश्न क्यों न मनाए, वास्तविकता यह है कि उसकी परेशानी छिपाए नहीं छिप रही। अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि कॉरपोरेट हितैषी की रही है। लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद से उनकी यह छवि कमोबेश खंडित होती दिखाई देती है। पिछले दिनों खत्म हुए बजट सत्र में उनकी कोशिशों के बावजूद ऐसा कुछ नहीं हुआ,...
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