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चर्चा में.... | गांवों में छुपी भुखमरी पर एक नजर - एनएसएसओ की रिपोर्ट
गांवों में छुपी भुखमरी पर एक नजर - एनएसएसओ की रिपोर्ट

गांवों में छुपी भुखमरी पर एक नजर - एनएसएसओ की रिपोर्ट

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published Published on Jun 19, 2015   modified Modified on Jun 19, 2015
देश के चौदह बड़े राज्यों के ग्रामीण इलाके में लोगों को रोजाना 2400 किलोकैलोरी का भोजन भी हासिल नहीं है और गुजरात के ग्रामीण अंचल प्रति व्यक्ति प्रतिदिन कैलोरी की खपत के मामले में सबसे पीछे हैं।  

बीते अक्तूबर में प्रकाशित नेशनल सैम्पल सर्वे की एक रिपोर्ट से खुलासा होता है कि हरियाणा, पंजाब और राजस्थान को छोड़कर अन्य सभी 14 बड़े राज्यों के ग्रामीण अंचलों में लोगों को प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 2400 किलो कैलोरी की निर्धारित मानक मात्रा से 167 किलो कैलोरी कम ऊर्जा का भोजन हासिल होता है।(रिपोर्ट के लिए यहां क्लिक करें)  

रिपोर्ट के अनुसार एक औसत शहरवासी को प्रतिदिन के लिए निर्धारित मानक 2100 किलो कैलोरी से 106 किलोकैलोरी ज्यादा का भोजन हासिल होता है। रिपोर्ट वर्ष 2011-12 में किए गए सर्वेक्षण के आधारित है। सर्वेक्षण देश के कुल 7469 ग्रामीण और 5268 शहरी प्रखंडों में किए गए। 

रिपोर्ट के विश्लेषण से पता चलता है कि बीते 30 सालों में पहली बार ग्रामीण और शहरी दोनों ही अंचलों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन कैलोरी की खपत में तनिक इजाफा हुआ है। बीते एक दशक यानी 1999-2000 से 2009-10 के बीच ग्रामीण अंचलों के बरक्स शहरी अंचलों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन कैलोरी खपत में तेज गिरावट आई थी लेकिन साल 2009-10 से 2011-12 के बीच ग्रामीण अंचलों की तुलना में शहरी अंचलों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन कैलोरी खपत की वृद्धि-दर ज्यादा तेज रही।(संबंधित आरेख के लिए यहां क्लिक करें) 

साल 2004-05 से 2011-12 के बीच असम, गुजरात, केरल और उत्तराखंड को छोड़कर अन्य सभी बड़े राज्यों के ग्रामीण अंचलों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन कैलोरी-खपत में बढ़ोत्तरी हुई है जबकि इस अवधि में असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओड़ीशा तथा उत्तराखंड के शहरी अंचलों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन कैलोरी खपत के मामले में कमी हुई है। 

कैलोरी खपत के मामले में असमानता

देश के ग्रामीण अंचलों में प्रति व्यक्ति मासिक व्यय के लिहाज से सबसे नीचे की 80 प्रतिशत आबादी 2400 किलोकैलोरी से कम ऊर्जा का भोजन हासिल करती है। ठीक इसी तरह देश के शहरी अंचलों में प्रति व्यक्ति मासिक खर्च के मामले में सबसे नीचे की 40 प्रतिशत आबादी 2100 किलोकैलोरी से कम ऊर्जा का भोजन हासिल करती है। 

शहरी और ग्रामीण दोनों ही अंचलों में प्रति व्यक्ति मासिक व्यय के ऊँचा होने के साथ प्रति व्यक्ति प्रतिदिन कैलोरी की खपत में बढ़ोत्तरी के रुझान देखे जा सकते हैं। 

देश के ग्रामीण अंचलों में प्रति व्यक्ति प्रतिमाह खर्च के मामले में सर्वाधिक ऊपर की 5 प्रतिशत आबादी को खर्च के लिहाज से सर्वाधिक नीचे की 5 प्रतिशत आबादी की तुलना में दोगुना ज्यादा किलोकैलोरी का भोजन हासिल होता है।
 
रिपोर्ट के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
 
• देश के ग्रामीण अंचलों में औसतन प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन कैलोरी उपभोग 2233 किलोकैलोरी का है और शहरी अंचलों में 2206 किलोकैलोरी का। 
 
• प्रतिव्यक्ति प्रतिमाह मासिक खर्च के बढ़ने के साथ कैलोरी उपभोग में बढ़त देखी जा सकती है। मासिक खर्च के पैमाने पर सर्वाधिक नीचे की 5 प्रतिशत ग्रामीण आबादी का कैलोरी उपभोग अपने से तुरंत ऊपर की 5 प्रतिशत ग्रामीण की तुलना में प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन के लिहाज से 183 किलोकैलोरी कम है।
 
•  कुल कैलोरी उपभोग में अनाज से प्राप्त होने वाली कैलोरी का हिस्सा देश के ग्रामीण अंचलों में 57% तथा ग्रामीण अंचलों में 48% है। अनाज से हासिल होने वाली कैलोरी के मामले में राज्यवार भिन्नता है। पंजाब के ग्रामीण अंचलों में अनाज से हासिल कैलोरी की मात्रा 42 प्रतिशत है तो ओड़ीशा में 70 प्रतिशत। हरियाणा के शहरी अंचलों में अनाज से हासिल कैलोरी का हिस्सा 39% है तो ओड़ीशा और बिहार के शहरी अंचलों में 60%। 
 
•    कुल कैलोरी उपभोग में खाद्यान्नेतर भोजन का हिस्सा देश के ग्रामीण अंचलों में 43 प्रतिशत है। इस कैलोरी उपभोग में तेल, वसा आदि से हासिल कैलोरी की मात्रा 22% है।
 
•   देश के शहरी अंचलों में खाद्यान्नेतर भोज्य पदार्थों से हासिल कैलोरी का हिस्सा 52% है। 
 
•   देश के सभी बड़े राज्यों के शहरी अंचलों में दूध और दूध से बने उत्पादों का कैलोरी उपभोग में योगदान 8% से 27% के बीच है और ग्रामीण अंचलों में 3% से 36% के बीच। 

 
•   जिन बड़े राज्यों में जीवनस्तर अपेक्षाकृत ऊँचा है वहां कैलोरी खपत में खाद्यान्नेतर भोज्य-पदार्थों के बीच शहद और चीनी का हिस्सा तुलनात्मक रुप से अधिक है। 
 
•    अखिल भारतीय स्तर पर देखें तो प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन प्रोटीन का उपभोग ग्रामीण अंचलों में 60.7 ग्राम और शहरों में 60.3 ग्राम है।
 
•    राज्यवार ग्रामीण अंचलों में प्रोटीन के उपभोग के मामले में बहुत ज्यादा अंतर है। छत्तीसगढ़ में प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति प्रोटीन का औसत उपभोग जहां 52 ग्राम है वहीं हरियाणा में 73 ग्राम। शहरी अंचलों के लिहाज से प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन प्रोटीन के उपभोग को देखें तो असम में यह 55 ग्राम है जबकि हरियाणा में 69 ग्राम। 
 
•    कुछ गरीब राज्यों के ग्रामीण इलाकों में शहरों की तुलना में प्रोटीन की प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन खपत में बहुत ज्यादा का अंतर है। मिसाल के लिए झारखंड( ग्रामीण: 54.7ग्राम, शहरी: 60.3ग्राम) और छत्तीसगढ़ (ग्रामीण: 51.7ग्राम, शहरी: 55.8 ग्राम)। इसके विपरीत हरियाणा, राजस्थान और पंजाब जैसे प्रोटीन के उच्च उपभोग वाले राज्यों में ग्रामीण अंचलों में प्रोटीन की प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन खपत शहरी अंचलों की तुलना में ज्यादा(4-6 ग्राम) है। 
 
•    प्रोटीन के उपभोग की कुल मात्रा में खाद्यान्न से प्राप्त प्रोटीन का हिस्सा ग्रामीण अंचलों में 58% तथा शहरी अंचलों में 49% है। 
 
•    प्रोटीन के उपभोग में दुग्ध और दुग्ध उत्पादों का हिस्सा ग्रामीण अंचलों में 10% तथा शहरी अंचलों में 12% है। हरियाणा में यह सबसे ज्यादा (ग्रामीण: 27%; शहरी: 22%) है।

 
•   प्रोटीन के उपभोग में मांस, मछली और अंडे से प्राप्त प्रोटीन का हिस्सा ग्रामीण अंचलों में 7% और शहरी अंचलों में 9% है। केरल के शहरी और ग्रामीण अंचलों में यह मात्रा 26 प्रतिशत की है जबकि पश्चिम बंगाल, असम, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक में 10 प्रतिशत या फिर इससे ज्यादा।
 
•    प्रति व्यक्ति प्रतिमाह खर्च में बढ़ती के साथ खाद्यान्न से प्राप्त प्रोटीन की मात्रा कुल प्रोटीन उपभोग में कम होने के रुझान हैं। देश के ग्रामीण अंचल में प्रतिव्यक्ति प्रतिमाह खर्च के लिहाज से सबसे नीचे की श्रेणी की 5 प्रतिशत आबादी अपने प्रोटीन उपभोग का 72 प्रतिशत हिस्सा खाद्यान्न से हासिल करती है जबकि ऊपरी 5 फीसदी आबादी केवल 42 प्रतिशत। शहरी अंचलों के लिए यह संख्या निचली और ऊपरली श्रेणियों के लिए क्रमश 68% तथा 31% है।
 
•दूसरी तरफ ग्रामीण अंचलों में प्रति माह प्रति व्यक्ति खर्च के लिहाज से सबसे नीचे की 5 प्रतिशत आबादी के कुल प्रोटीन उपभोग में दूध और दुग्धजनित भोज्य-पदार्थों से प्राप्त प्रोटीन की मात्रा 3 प्रतिशत है और ऊंचली श्रेणी में 16 प्रतिशत। शहरी अंचलों में प्रति व्यक्ति प्रतिमाह खर्च के पैमाने पर सबसे निचली और सबसे ऊपरली श्रेणी की आबादी के लिए दूध और दूध से बने पदार्थों से प्राप्त प्रोटीन की मात्रा का अन्तर 4 प्रतिशत बढ़कर 17% तक जा पहुंचता है। कुछ ऐसा ही रुझान मांस, मछली और अंडे से प्राप्त प्रोटीन की मात्रा के मामले में भी है। ग्रामीण अंचलों में प्रतिमाह प्रतिव्यक्ति खर्च के लिहाज से सबसे निचली और ऊंचली श्रेणी की आबादी के बीच यह अंतर 2% से बढ़कर 12% पर जा पहुंचता है और शहरी अंचलों में 4% से बढ़कर 11% पर। 
 
 

इस कथा के विस्तार के लिए निम्नलिखित लिंक देखें

 

National Sample Survey Report no. 560: Nutritional Intake in India 2011-12, 68th Round  

In India, to be veg is to drink a lot of milk -Harish Damodaran, The Indian Express, 12 June, 2015

 

Why is calorie intake rising? -Himanshu, Livemint, 13 May, 2015  


Nutritional intake grows in India’ -Rukmini S, The Hindu, 28 December, 2014  

 

(चित्र साभार-  विकीपीडिया के ह्वीट शीर्षक सामग्री से)




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