-न्यूजक्लिक, मीडिया के प्रचार के दम पर चल रही मोदी सरकार ने बड़े लंबे समय से गरीबी के आंकड़े जारी नहीं किए हैं। इस पर मीडिया वाले कभी सवाल भी खड़ा नहीं करते हैं। अगर सवाल खड़ा करते तो जिस तरह से चौक चौराहों पर 135 करोड़ वाले देश में ओलंपिक में गिरकर 5 मेडल न मिल पाने पर चर्चा हो रही है ठीक उसी तरह गरीबी पर भी चर्चा होती।...
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COVID-19 की पहली लहर के दौरान ग्रामीण बिहार में अधिकांश परिवारों को आजीविका संकट का सामना करना पड़ा!
मोनाश विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया में सेंटर फॉर डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स एंड सस्टेनेबिलिटी के अर्थशास्त्रियों और नई दिल्ली स्थित मानव विकास संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एक सर्वेक्षण आधारित शोध के अनुसार, महामारी की पहली लहर ने पिछले साल बिहार में ग्रामीण श्रमिकों (स्व-रोजगार सहित) की आजीविका पर विनाशकारी प्रभाव डाला था. अध्ययन के लेखकों द्वारा जारी एक हालिया प्रेसनोट से पता चलता है कि पिछले साल ग्रामीण बिहार में आजीविका...
More »भारत में दलहन नीति की आवश्यकता
-डाउन टू अर्थ, हर भारतीय रसोई में दाल का तड़का भारतीय आहार की एक विशिष्ट पहचान है ,जो अनाज के पूरक के साथ एक उच्च स्तरीय प्रोटीन का आदर्श मिश्रण प्रस्तुत करती है। दालों में विभिन्न अमीनो एसिड की उपस्थिति वाले शरीर निर्माण गुणों के कारण इनका सेवन किया जाता है। इनमें औषधीय गुण भी होते हैं। दलहन के उत्पाद जैसे पत्ते, पॉड कोट और चोकर पशुओं को सूखे चारे के रूप...
More »दरभंगा एम्स के लिए सत्याग्रह: घर-घर ईंट मांग रहे युवा, कहा- सरकार नहीं तो जनता करेगी शिलान्यास
-गांव कनेक्शन, बिहार के दरभंगा जिले में प्रस्तावित प्रदेश के दूसरे एम्स के लिए बिहार के सैकड़ों युवाओं ने एक मुहिम शुरु की है। वो घर-घर जाकर लोगों से ईंट मांग रहे हैं। बिहार में छात्रों-युवाओं के संगठन मिथिला स्टूडेंट यूनियन (MSU) ने ऐलान किया है कि अगर घोषणा के इतने वर्षों बाद भी सरकार शिलान्यास नहीं कर सकी तो बिहार की जनता ये काम खुद करेगी। मिथिला स्टूडेंट यूनियन (MSU)...
More »तन मन जन: कोरोना ने प्राइवेट बनाम सरकारी व्यवस्था का अंतर तो समझा दिया है, पर आगे?
-जनपथ, कोरोना वायरस संक्रमण (कोविड-2019) की महामारी ने देश की स्वास्थ्य व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर करके रख दिया है। इस संक्रमण के दौर में सरकारी और निजी स्वास्थ्य व्यवस्था की असलियत जनता के सामने आ गयी, साथ ही दोनों के बीच विरोधाभास की कलई भी खुल गयी है। कोरोना महामारी से जूझते हुए देश की सरकारी और निजी स्वास्थ्य व्यवस्था ने अपनी रंगत दिखा दी और अब यह साफ तौर...
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