SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 2954

न्याय का नखलिस्तान- रुचिरा गुप्ता

जनसत्ता 18 सितंबर, 2013 : भारत में अगर किसी का पुलिस या न्यायपालिका से कभी पाला पड़ा हो, तो वह अच्छी तरह से जानता होगा कि यह अनुभव कितना क्षोभ और आक्रोश से भर देने वाला होता है। भारतीय न्यायपालिका और पुलिस तंत्र में कई तरह की खामियां हैं। उनमें से कुछ को रेखांकित किया जा सकता है। मसलन, पुलिस अधिकारियों के बीच जवाबदेही का अभाव, खासतौर से महिलाओं और दलितों...

More »

दो स्तर पर पंचायत ले सकती हैं टैक्स में हिस्सा

पंचायत निकाय राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कर वसूल सकते हैं, उन्हें दो स्तरों पर कर में भागीदारी भी मिलने की व्यवस्था है, जिससे वे अपने क्षेत्र के विकास कार्य करवा सकते हैं. पंचायत प्रतिनिधियों व ग्रामीणों के लिए यह जरूरी है कि वे पंचायत निकायों के वित्तीय अधिकारों को भी जानें. ताकि अपने अधिकारों का ज्यादा कारगर ढंग से संरक्षण कर सकें. तो आइए जानें झारखंड पंचायती राज अधिनियम...

More »

भ्रष्टाचार का भयावह मंजर- ज्ञान प्रकाश पिलानिया

जनसत्ता 17 सितंबर, 2013 : हाल ही में ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल की ‘वैश्विक भ्रष्टाचार: बैरोमीटर-2013’ रिपोर्ट में एक बार फिर यह उजागर हुआ है कि भारत में भ्रष्टाचार दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले दुगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है। विश्व के सत्ताईस फीसद लोगों ने कहा कि उन्होंने पिछले साल भर के दौरान रिश्वत देकर काम कराया है। लेकिन अकेले भारत में यह आंकड़ा चौवन फीसद रहा। यानी हर दो में...

More »

आरटीआइ से पंचायतें मांगें अधिकार

मित्रो,                                                                                                                                                                              आप पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधि हैं. जनता ने आपको इसलिए चुना कि आप पंचायत, प्रखंड और जिला स्तर पर उनकी बुनियादी समस्याओं को दूर करने के लिए योजनाएं बनाएं, उनका कार्यान्वयन करें और उन पर नियंत्रण रखें. संविधान के 73वें संशोधन ने आपको वही ताकत दी है, जो अपने क्षेत्र में विधायकों और सांसदों को मिला हुआ है. निचले स्तर पर आप पंचायत सरकार हैं. पंचायत सरकारें सत्ता के लोकतांत्रिक ढांचे की...

More »

शिक्षा के अधिकार का अप्रतिम योद्धा- चंदन श्रीवास्तव

अधिकतर लोग मानते हैं- दुनिया जैसी है, वैसी ही रहेगी. किसी बदलाव की उम्मीद और कोशिश बेकार है. ऐसे लोगों के पास बेहतर जीवन का न तो कोई सपना होता है और न ही आंखों के सामने हो रहे अन्याय को देखने-परखने की क्षमता. ऐसे लोग अपने लिए पहले से तय कोई भूमिका निभा कर संतुष्ट रहते हैं और खुद को सफल मानते हैं. दुनिया में ऐसे लोग ‘सयाने और...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close