1.दुनिया के किसी देश की सरकार ने ऐसी पहल नहीं की, जो हमारी सरकार करने जा रही है. 2.केंद्र सरकार ने स्पष्ट कह दिया है कि जीएम खाद्य स्वास्थ्य को किसी प्रकार से नुकसान नहीं पहुंचाते. 3.दूसरी ओर, भारत में जेनेटिक मोडिफ़ाइड फ़सलों के अपशिष्ट को खाकर कई स्थानों पर पशु मारे जा चुके हैं. भारत सरकार जिस तरह जीएम खाद्य फ़सलों को हम पर थोपने पर तुली है वह शंका का कारण...
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जनसंख्या स्थिरता में सहायक दंपतियों का होगा सम्मान, मिलेगा आकर्षक पैकेज
रायपुर। छत्तीसगढ़ में जनसंख्या स्थिरता कोष के मानकों को पूरा करने वाले गरीब दंपतियों को 19 हजार रुपए तक का आकर्षक पैकेज देकर सम्मानित किया जाएगा। आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि छत्तीसगढ़ के आदर्श दम्पतियों को अब अधिकतम 19 हजार रुपए तक का आकर्षक पैकेज मिल सकता है। इसके लिए जरूरी है कि यह दम्पति राष्ट्रीय जनसंख्या स्थिरता कोष के मानकों को पूरा करते हो। ऐसे आदर्श दम्पतियों की...
More »मणिपुर के बच्चे कहाँ जाएं
मणिपुर में उग्रवाद और उग्रवाद के विरोध में जारी हिसंक गतिविधियों के चलते बीते कई दशकों से बच्चे हिंसा की कीमत चुके रहे हैं. यह सीधे तौर से गोलियों और अप्रत्यक्ष तौर से गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण की तरफ धकेले जा रहे हैं. राज्य में स्थितियां तनावपूर्ण होते हुए भी कई बार नियंत्रण में तो बन जाती हैं, मगर स्कूल और स्वास्थ्य सेवाओं जैसे बुनियादी ढ़ांचे कुछ इस तरह से चरमराए हैं...
More »मोटे अनाज के भरोसे होगी खाद्यान्न सुरक्षा
नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। खाद्यान्न संकट से निपटने के लिए सरकार ने मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहित करने की योजना तैयार की है। इसके तहत एक करोड़ हेक्टेयर अतिरिक्त जमीन में मोटे अनाज की खेती बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सिंचाई के लिए बेशक पानी कम मिले लेकिन नई प्रौद्योगिकी और वर्णसंकर बीजों के प्रयोग से इनकी उत्पादकता बढ़ाई जाएगी। गेहूं व चावल के मुकाबले...
More »ऐसे हासिल होगी हर घर को बिजली
बिजली सबको हासिल हो- क्या यह बस एक दिवास्वप्न है। क्या जब तक सबको रोटी,कपड़ा,मकान, शिक्षा,स्वास्थ्य और साफ पेयजल जैसी बुनियादी सुविधायें हासिल नहीं हो जातीं तब तक हमें सबके पास बिजली पहुंचाने के सवाल को ठंडे बस्ते में डाल देना चाहिए। भारत में बिजली की सुविधा से वंचित लोगों की तादाद दुनिया में सबसे ज्यादा है। देश में आधे से ज्यादा घरों में बिजली नहीं है यानी दूसरी तरह से कहें तो विश्व...
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