वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जिस तरह जनगणना के जातिवार आंकड़ों के बारे में तत्काल सफाई दी और उसे लगभग ठंडे बस्ते में डाल दिया, उसके पीछे बड़ा कारण बिहार विधानसभा का चुनाव था। अब बिहार में जातिवार जनगणना के आंकड़ों की मांग बड़ा चुनावी मुद्दा बन गई है। कई लोग यह भी कहने लगे हैं कि जरूरी नहीं कि जातिवार आंकड़ों की मांग लालू-नीतीश की जोड़ी को फायदा पहुंचाए और...
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बाल हृदय योजना के लिए करोड़ों का बजट, लेकिन नहीं होते ऑपरेशन
रायपुर। मुख्यमंत्री बाल हृदय प्रदेश सरकार की योजना है। साल 2008 में इसकी शुरुआत हुई थी, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि बीते 7 साल में कार्डियक सर्जरी की सुविधा किसी भी सरकारी अस्पताल में शुरू नहीं हो सकी है। यह सुविधा प्रदेश के 6 निजी अस्पतालों में है, जो शासन से अनुबंधित हैं। बीते सात साल में इन अस्पतालों में 5441 बच्चों के दिल के ऑपरेशन हो चुके...
More »सफाई कर्मचारियों की भी सुनिए- सुभाषिनी अली सहगल
वर्ष 1958 से 31 जुलाई हमारे देश में 'अखिल भारतीय सफाई मजदूर दिवस' के रूप में मनाया जाता है। समाज के दूसरे हिस्से इन कार्यक्रमों से बहुत दूर और पूरी तरह अनभिज्ञ रहते हैं। 22 जुलाई, 1957 को दिल्ली के सफाई कर्मचारियों ने अपना मांग पत्र दिल्ली की नगरमहापालिका के सामने पेश किया था। उसके साथ एक हफ्ते बाद शुरू होने वाली हड़ताल का नोटिस भी संलग्न था। चूंकि मामला...
More »ओबीसी में 81 जातियां, नौकरियां हासिल करने में पांच सबसे आगे
जयपुर। राजस्थान में ओबीसी कैटेगरी में यूं तो 81 जातियां है लेकिन आरक्षण का सर्वाधिक फायदा सिर्फ पांच ही उठा रही हैं। राज्य पिछड़ा आयोग की रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार 2001 से 2012 के बीच यानी 12 सालों में ओबीसी के लिए आरक्षित 70 से 75 फीसदी सरकारी नौकरियों में इन्हीं पांच जातियों का वर्चस्व रहा है। बाकी 76 जातियों को सिर्फ 20 से 25...
More »आत्महत्याएं कभी झूठ नहीं बोलतीं!- चंदन श्रीवास्तव
पुराने समय में ‘कागद की लेखी' और ‘आंखिन की देखी' के बीच अकसर एक झगड़ा रहता था. कागद की कोई लिखाई जिंदगी की सच्चाई से मेल ना खाये, तो फिर कबीर सरीखा कोई ‘मति का धीर' पोथी में समाये ज्ञान से इनकार भी कर देता था. यह अघट तो आधुनिक समय में घटा कि प्रत्यक्ष को मानुष पर और मानुष को आवेगों पर निर्भर मान कर शंका के काबिल मान...
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