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आहार में छुपा है वनवासियों की तंदुरुस्ती का राज

पूर्णिया। खेल के मैदान से लेकर सुरक्षा व्यवस्था में अपनी दमदार उपस्थिति दिखाने वाले वनवासियों की तंदुरुस्ती का राज उनके आहार में छुपा हुआ है। जंगली वनस्पति के सेवन के कारण इनकी शारीरिक क्षमता दूसरों की अपेक्षा अधिक होती है। जंगलों और जलाशयों में पाये जाने वाले सरौंची, कोकरो, पतंगी, कटैया और करमीलत्ती, सहजन आदि का साग इनका पसंदीदा है। साग के इन प्रभेदों में आयरन, कैल्सियम और वीटा केरोटीन की मात्रा प्रचुर मात्रा में पायी...

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कृषि, कर्ज और महंगाई की चुनौतियां

नई दिल्ली [भारत डोगरा]। जहां एक ओर कृषि नीति के सामने महंगाई व किसानों के कर्ज की ज्वलंत समस्याएं हैं, वहीं दूसरी ओर जलवायु बदलाव के संकट से जूझना भी जरूरी है। वैसे तो पहले भी यह बार-बार अहसास हो रहा था कि न्याय, समता व पर्यावरण हितों की रक्षा और खेती में टिकाऊ प्रगति के लिए कृषि-नीति में बदलाव जरूरी हो गए हैं। अब जब जलवायु बदलाव के कुछ दुष्परिणाम नजर आने लगे हैं और...

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अस्पताल में मौजूद दवाई दे डाक्टर अन्यथा होगी कार्रवाई : स्वास्थ्य मंत्री

भुवनेश्वर। सरकारी अस्पतालों में मौजूद दवाइयां रोगियों को मिलनी चाहिए। डाक्टर रोगियों को प्रेसक्रिप्शन देने के समय इस पर ध्यान दें। अस्पताल में मौजूद दवाई रोगियों को बाहर से खरीदने के लिए बाध्य करने की जानकारी मिलने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस बारे में खर्च हुई राशि डाक्टर के वेतन से पूरा करने का भी निर्णय लिया गया है। बुधवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की एक बैठक में स्वास्थ्य मंत्री प्रसन्न आचार्य ने अस्पताल में...

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जेंडर बजट 2011 में बिहार की नयी ऊंचाई

पटना। अवधारणा के स्तर पर हुए परिवर्तन ने बिहार में जेंडर बजट को नयी ऊंचाई दी है। दो वर्ष पूर्व 2008 में पहली बार बजट में स्त्री पक्ष की हिस्सेदारी सुनिश्चित हुई। सरकार ने इस तथ्य को पहचाना कि लोक व्यय में जब तक आधी आबादी के सबलीकरण के लिए ठोस प्रबंध नहीं होगा, आधी जनसंख्या की विकास में भागीदारी नहीं हो सकेगी। इसी पैटर्न पर योजनाओं को दो श्रेणी में बांटा गया और फिर...

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ग्रामीण अर्थव्यवस्था कैसे संभली रही?- पाणिनी आनंद

ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था ने भी भारत को आर्थिक संकट के दौर में स्थिर रखने में मदद दी वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर में भारत के ग्रामीण विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बारे में जानी मानी अर्थशास्त्री जयति घोष कहती हैं कि जहां संयुक्त प्रगतिशील गंठबंधन सरकार की पहली पारी गंभीर और सकारात्मक रही, वहीं दूसरी पारी में सरकार कम गंभीर नज़र आ रही है. उनका मानना है कि सरकार की कुछ तैयारियों और बदलावों के...

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