रायपुर. महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत राज्य में बीते पांच साल में इतने पौधे रोपे गए कि एक इंच भी जगह खाली नहीं बची है। दावा किया जा रहा है कि 13 लाख वर्ग किलोमीटर के रकबे में पौधे लगाए गए हैं जबकि छत्तीसगढ़ का कुल क्षेत्रफल ही एक लाख पैंतीस हजार वर्ग किलोमीटर है। इसमें भी 44 फीसदी हिस्से में पहले से जंगल हैं। कागजों में की गई...
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गांव के लोगों की ही देन है आरटीआइ आंदोलन
आरटीआइ कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल किसी परिचय के मोहताज नहीं है. वे आरटीआइ कानून के अमल में आने के बाद से ही लगातार इस हथियार के जरिये आम जनता के हित में लड़ाई लड़ते रहे हैं. चाहे मामला न्यायपालिका में फैले का भ्रष्टाचार का हो या फिर राजनीतिक दलों को आरटीआइ के दायरे में लाने का उन्होंने यह मुहिम निरंतर जारी रखी है. इतना ही नहीं वे नौजवान पीढ़ी की ओर आरटीआइ...
More »यों निकलती है एक अधिकार से दूसरे अधिकार की राह..
एक ऐतिहासिक कानून दूसरे ऐतिहासिक कानून के भीतर दिए गए अधिकारों को हासिल करने में मददगार हो रहा है। उत्तरी महाराष्ट्र के हजारो आदिवासी सूचना के अधिकार कानून की मदद से वनाधिकार कानून में प्रदान किए गए अपने हक को हासिल करने के करीब आन पहुंचे हैं।वनाधिकार कानून साल 2006 में बना। इसमें वनवासी और अन्य आदिवासी समुदायों को उनकी परंपरागत जमीन पर सामुदायिक और वैयक्तिक अधिकार दिये गये हैं। बहरहाल,...
More »बोल बड़े बिल अटके पड़े- हिमांशु शेखर
कांग्रेस दावा करती है कि उसका हाथ आम आदमी के साथ है. लेकिन उसकी अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने कई ऐसे विधेयक लटका रखे हैं जिनका सीधा संबंध उसी आम आदमी की भलाई से है. हिमांशु शेखर की रिपोर्ट. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की मुख्य पार्टी कांग्रेस के नेता यह दावा करते हुए नहीं अघाते कि उनकी सरकार के लिए आम आदमी का कल्याण सबसे पहले है. लेकिन मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली...
More »पत्रकारिता का लाइसेंस क्यों?- उर्मिलेश
जनसत्ता 22 अगस्त, 2013 : भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष जस्टिस मार्कंडेय काटजू काफी दिनों से पत्रकारिता की तुलना वकालत और डॉक्टरी आदि जैसे पेशों से करते आ रहे हैं।उनका तर्क है कि अन्य सभी पेशों के लिए कुछ न कुछ योग्यता तय है। पर पत्रकार कोई भी बन जाता है! पांच-छह महीने पहले उनके इस आशय के बयानों पर काफी विवाद हुआ तो विस्तृत रिपोर्ट और सुझाव देने के लिए उन्होंने...
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