-द कारवां, आदित्य बिरला समूह और वेदांता लिमिटेड भारत में उन पहले कारपोरेट दाताओं में से थे जिन्होंने कोविड-19 महामारी राहत के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बनाए गए और उन्हीं के द्वारा संचालित पीएम केयर्स फंड में भारी भरकम राशि दान दी थी. यह फंड मार्च 2020 में बनाया गया था और इसके बनने के पहले सप्ताह के भीतर ही आदित्य बिरला समूह ने 400 करोड़ रुपए तथा वेदांता ने...
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लगातार घट रही है बीज उत्पादन में मदद करने वाले परागणकों की संख्या
-डाउन टू अर्थ, दुनिया भर में लगभग 3,50,000 पौधों की प्रजातियां हैं। सभी फूलों वाले पौधों में से आधे में बीज तैयार करने के लिए ज्यादातर परागणकों पर निर्भर करते हैं। अध्ययन के मुताबिक 82 फीसदी पौधों की प्रजातियां कीड़ों द्वारा परागित होती हैं, 6 फीसदी कशेरुकी द्वारा परागित होती हैं, जबकि हवा द्वारा केवल 12 फीसदी पौधों की प्रजातियां परागित होती हैं। इसलिए परागणकों में गिरावट के चलते जैव विविधता...
More »इंटरव्यू/ यूपीएससी टॉपर: “यकीन नहीं था कि टॉप करूंगा”
-आउटलुक, “कटिहार के शुभम कुमार ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) 2020 में कुल 761 सफल उम्मीदवारों में पहला स्थान प्राप्त किया है।” बिहार के छोटे से शहर कटिहार के शुभम कुमार ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) 2020 में कुल 761 सफल उम्मीदवारों में पहला स्थान प्राप्त किया है। बकौल शुभम, उन्हें सफलता की उम्मीद तो थी लेकिन रैंक वन मिली तो सहसा यकीन कर पाना मुश्किल था। बिहार से आइएएस-आइपीएस...
More »अनहेल्दी सीक्रेट्स - क्यों जरूरी है पीएम केयर्स फंड की जांच
-कारवां, आजादी के बाद देश के सभी बड़े शहरों में पाकिस्तान से आने वाले हिंदू और सिख शरणार्थियों की संख्या हर बीतते दिन बढ़ रही थी. जवाहरलाल नेहरू उस समय देश की अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री थे और उनके आधिकारिक आवास तीन मूर्ति भवन में भी लोगों की भीड़ लगी रहती. नेहरू के निजी सचिव रहे एम. ओ. मथाई अपनी किताब रेमनिसंस ऑफ दि नेहरू ऐज में नेहरू की एक आदत...
More »2021-22 की पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर पेश किये गए: आर्थिक झटके कार्यपद्धति पर प्रश्न खड़े कर रहे हैं
-न्यूजक्लिक, डॉ. अरुण कुमार के अनुसार वार्षिक एवं त्रैमासिक जीडीपी के आंकड़ों का अनुमान लगाने में प्रणालीगत त्रुटियाँ हैं, खासकर तब जब अर्थव्यवस्था ही खुद झटके की मार को झेल रही हो। ऐसे दौर में पिछले वर्ष के अनुमानों का सहारा लेकर वार्षिक अनुमानों को चार तिमाहियों में विभाजित करने और उत्पादन लक्ष्यों का इस्तेमाल कर उसे ही हासिल कर लिया गया मान लेने से हम सही नतीजों तक नहीं पहुँच सकते...
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