मानवता की बेहतरी में योगदान के लिहाज से जारी अच्छे देशों की ताजा सूची में भारत को 70वें स्थान पर रखा गया है. सूची में 163 देशों को शामिल किया गया है. ऐसे किसी वैश्विक इंडेक्स में हमारे देश की मौजूदा स्थिति निश्चित रूप से निराशाजनक है. देशों की आंतरिक स्थिति के आधार पर पेश की जानेवाली अन्य महत्वपूर्ण रिपोर्टों पर नजर डालें, तो निराशा और बढ़ जाती है. मानव...
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सरकारी बैंकों का अंधेरा कुआं-- भरत झुनझुनवाला
वित्त मंत्री ने चिंता जतायी है कि सरकारी बैंकों द्वारा दिये गये लोन बड़ी मात्रा में खटाई में पड़ रहे हैं. इससे अर्थव्यवस्था पर संकट मंडराने लगा है. याद करें कि 2008 में अमेरिकी बैंकों पर संकट उत्पन्न हो गया था. उन्होंने बड़ी मात्रा में लेहमन ब्रदर्स जैसी कंपनियों को लोन दिये थे. लेहमन ब्रदर्स लोन को वापस नहीं दे पाया था. और अमेरिकी अर्थव्यवस्था चरमरा गयी थी. इसी प्रकार...
More »ये हैं देश की सूरत बदलने वाली मोदी सरकार की बड़ी योजनाएं
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 26 मई 2014 सत्ता संभालने के साथ ही केंद्र सरकार ने आम भारतीयों की जिंदगी में सुधार के लिए अनेकों फैसले किए। केंद्र सरकार अपनी योजनाओं को आम जन तक पहुंचाने के लिए जहां सोशल मीडिया का सहारा ले रही है। वहीं पार्टी की तरफ से सरकार की कामयाबी को बताने के लिए देशभर में 200 कार्यक्रमों को आयोजित करने का फैसला किया है।...
More »अदालतों में तारीख पर तारीख, सौ साल से एक केस में दांव-पेंच
रायपुर (निप्र)। अदालतों में जजों की कमी और मामलों के निपटारे में देरी कोई नई बात नहीं है, लेकिन जमीन-जायदाद के छोटे-मोटे विवाद में सौ बरस में फैसला नहीं हो पाना बड़ी बात है। हालात यह हैं कि अदालतों में ऐसी-ऐसी कानूनी दांव-पेंच और उलझनें हैं कि पीढ़ी दर पीढ़ी मामले चल रहे हैं और नतीजे नहीं निकल पा रहे हैं। अदालत के तारीख पर तारीख के चक्कर में राजधानी...
More »श्रद्धा केंद्र क्यों बने हैं आंबेडकर!- उर्मिलेश
समय और समाज भी कुछ अजीब ढंग से चलते हैं. कुछ चीजें, कुछ लोग और कुछ घटनाक्रम जो हमारी सामूहिक स्मृति से लगभग गायब हो गये होते हैं, वे एक खास कालक्रम में अचानक प्रासंगिक होकर हमारी सामूहिक चेतना का हिस्सा बन जाते हैं. यह सब समाज और समय की अपनी गत्यात्मकता के कारण होता है. आठवें दशक में हिंदी पट्टी के ज्यादातर पुस्तकालयों या बुक स्टोर्स पर डाॅ भीमराव...
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