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लॉकडाउन में भूसे की कमी से जूझ रहे पशुपालक, महंगे दाम में भूसा बेच रहे व्यापारी

-गांव कनेक्शन, छह-सात सौ रुपए कुंतल बिकने वाला भूसे का दाम आठ-हजार रुपए तक पहुंच गया है। लॉकडाउन की वजह से दूध न बिक पाने से पहले से ही परेशान पशुपालकों के सामने संकट है कि अगर भूसा न मिला तो पशुओं को खिलाएंगे। उत्तर प्रदेश के मेरठ के मनीष भारती जिले के बड़े पशुपालकों में से एक हैं, लेकिन लॉकडाउन से अब वो परेशान हो गए हैं। मनीष बताते हैं,...

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यह बात बारहा सामने आई है कि कोरोना जैसी किसी भी महामारी से सर्वाधिक मौतें भारत में होंगी

-न्यूजलॉन्ड्री, इंडियन जर्नल फ़ॉर मेडिकल रीसर्च के मार्च 2018 के संस्करण में ललित कांत और उनके सहकर्मी रणदीप गुलेरिया ने एक लेख लिखा था. इसका शीर्षक था “पैंडेमिक फ़्लू 1918: आफ़्टर हंड्रेड ईयर इंडिया इज़ ऐज़ वल्नरेबल.” इस लेख का मुख्य बिंदु था कि हिंदुस्तान की स्वास्थ्य सेवाओं की जैसी जर्जर हालत है उसे देखते हुए अगर स्पैनिश इनफ़्लुएंज़ा जैसी कोई भी महामारी दुनियां में फैलती है तो विश्व में सर्वाधिक...

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कोरोना वायरस से जुड़े चार मॉडल कौन-से हैं, जिनकी देशभर में चर्चा है?

-लल्लनटॉप,  देशभर में केंद्र, राज्य और जिलों तक के स्तर पर कोरोना वायरस से निपटने के लिए कोशिशें की जा रही हैं. इन्हीं जगहों में से कुछ मॉडल निकलकर आए हैं. एक मॉडल ऐसा है, जिसने कोरोना को रोकने के लिए बेहतरीन काम किया है और ये बता रहा है कि क्या किया जा सकता है. तीन मॉडल ऐसे हैं, जिन्होंने बड़ी लापरवाही बरती और ये बता रहे हैं कि क्या नहीं...

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राजस्थान: दर-बदर रहने वाले घूमंतु समुदाय भुगत रहे हैं लॉकडाउन का खामियाज़ा

-द वायर,  मध्य प्रदेश के गुना के रहने वाले 300 से ज्यादा घूमंतु समुदाय के लोग महीने भर पहले ही जैसलमेर के फतेहगढ़ क्षेत्र में जीरा कटाई के लिए आए थे. हर साल की तरह थोड़ी मजदूरी मिलने लगी थी कि 25 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा हो गई. गुना से करीब 900 किमी सफर कर मजदूरी करने आए ये लोग यहीं फंस गए. पांच दिन जमा राशि खर्च कर मदद का...

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संपन्न भारत जब गरीबों के बारे में सोचता है तब वह अपने बारे में ही सोच रहा होता है

-सत्याग्रह,  लॉकडाउन के उपरांत प्रवासी मज़दूर भारी संख्या में अपने गांवों की ओर निकल पड़े. हज़ारों की भीड़ बस अड्डों पर जमा हो गई. कितने तो पैदल ही सड़कों पर निकल पड़े. फिर क्या था, हाय तौबा मच गई. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. कुछ को वापस धकेल दिया गया कि अपने घरों में ही रहो. कुछ को अस्थायी क्वारंटाइन शिविरों में रख दिया गया. डर था कि उन हज़ारों...

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