जब भी किसी मुद्दे को लेकर दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में हल्ला मचने लगता है, तो मेरी आदत है किसी दूरदराज गांव में जाकर उसी मुद्दे पर आम, गरीब भारतवासियों से बातें करना। सो, पिछले हफ्ते जब आधार कार्ड को लेकर खूब हल्ला मचने लगा देश भर में निजता पर और पत्रकारों और टीवी एंकरों में भी खेमे बंट गए, मैं एक ऐसे गांव में जा पहुंची जहां कुछ भी...
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महाराष्ट्र के संदेश को सुनिए-- शशि शेखर
पिछले दिनों आधे से अधिक महाराष्ट्र को जातीय हिंसा की आग ने जिस तेजी से अपनी चपेट में लिया, उससे आशंकित और आतंकित होना लाजिमी है। इस दौरान उन्माद में अंधे हो रहे लोगों ने पाठशाला से घर लौट रहे मासूमों की बसों तक पर पथराव किया। भय से कंपाते बच्चों को अपने सहपाठियों के यहां शरण लेनी पड़ी। उधर, उनके मां-बाप मुंबई महानगर के मुख्तलिफ हिस्सों में बेबसी जीने...
More »नये साल की यही शुभकामना !-- योगेन्द्र यादव
अगर चंपारण और रूस की क्रांति के लिए प्रसिद्ध 1917 देश और दुनिया में संभावनाएं खुलने का वर्ष था, तो 2017 देश और दुनिया के सिकुड़ने का साल माना जायेगा. यह साल संभावनाओं के सिकुड़ने का साल था और संवेदनाओं के सिमटने का साल था. बीते साल में भाजपा का विस्तार और लोकतंत्र का पराभव जारी रहा. भाजपा चुनाव भी जीती और राजनीति के खेल भी. उत्तर प्रदेश में...
More »मीडिया से कुछ असहज सवाल-- मृणाल पांडे
एक जमाने में सबको खबर देने और सबकी खबर लेने का गर्व से दावा करनेवाला, अपने को जनता का पक्षधर और सबसे तेज, निर्भीक और निष्पक्ष बतानेवाला मीडिया का एक हिस्सा आज अपने मालिकान और खुद अपने हित स्वार्थों की राजनीति से अंतरंग जुड़ाव को लेकर सवालों के कठघरे में खड़ा है. जिस दौर में राजनीति ही नहीं, मीडिया का रूप, खबरें देने के तरीके और दायरे बदलते जा रहे...
More »चुनौती और अवसर, दोनों है प्रदूषण--- मोंटेक सिंह अहलूवालिया
दिल्ली का वायु प्रदूषण अब भी सुर्खियों में है। इस मसले का हल निकालना इसलिए जरूरी है, क्योंकि दिल्ली देश का एकमात्र प्रदूषित शहर नहीं है। दुनिया के 20 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में 11 भारत के हैं। इतना ही नहीं, अगले 20 वर्षों में शहरी आबादी में बड़े विस्तार की संभावना है। इसे देखते हुए हमें बेहतर रोजगार के लिए निवेश बढ़ाने की जरूरत है और शहरों को रहने योग्य...
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