भारत सरकार का गरीब तबके को छोटे ऋण यानी माइक्रोफाइनेंस देने पर जोर है. इन ऋणों को अधिकतर महिलाओं के स्वयं सहायता समूह के माध्यम से वितरित किया जाता है. सोच है कि ऋण से महिलाएं बकरी, दूध, परचून, फेरी आदि के धंधे कर सकेंगी. उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता मिलेगी और परिवार की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी. इसी तरह से बांग्लादेश के मोहम्मद युनूस द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक द्वारा करीब 40 लाख महिलाओं...
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जलवायु परिवर्तन से पक्षियों के अस्तित्व पर खतरा
भारत सहित एशियाई पक्षियों की प्रजाति के अस्तित्व पर जलवायु परिवर्तन से बडा खतरा मंडरा रहा है. एक नये अध्ययन में इन खतरों के बारे में आगाह किया गया है. डरहम विश्वविद्यालय और बर्डलाइफ इंटरनेशनल ने अपने अध्ययन में कहा है कि जलवायु परिवर्तन से इस क्षेत्र में पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों को नुकसान झेलना पड सकता है. हाल में पत्रिका ‘ग्लोबल चेंज बॉयोलोजी’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक कुछ चरम मामलों...
More »आठ राज्यों में राष्ट्रीय डेयरी योजना शुरू
नई दिल्ली [जाब्यू]। एनडीडीबी ने विश्व बैंक के सहयोग से चल रही राष्ट्रीय डेयरी योजना उत्तर प्रदेश सहित आठ राज्यों में शुरू करने की घोषणा की है। इस योजना के तहत सभी राज्यों में दुधारू पशुओं की उत्पादकता बढ़ाकर दूध उत्पादन बढ़ाने के वैज्ञानिक उपाय किए जाएंगे। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड [एनडीडीबी] की अध्यक्ष डॉ. अमृत पटेल ने इस योजना की प्रगति का ब्योरा देते हुए कहा है कि...
More »देवकी जैन: आम औरत की खास अर्थशास्त्री
केवल संयोगवश एक अर्थशास्त्री और नारीवादी बनी देवकी जैन विकासशील विश्व की प्रमुख ‘नारीवादी अर्थशास्त्री’(फेमिनिस्ट इकोनॉमिस्ट) हैं. उच्च अध्ययन के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के रस्किन कॉलेज गयीं, भारत लौट कर देवकी जैन ने भारतीय सहकारी आंदोलन के लिए काम करना शुरू किया. वह विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में शामिल हो गयीं और पदयात्र की. 1966 में प्रसिद्ध गांधीवादी अर्थशास्त्री लक्ष्मी चंद जैन से विवाह किया. संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन हेतु किताब के...
More »जहां वे सेतु बनते हैं- मिहिर पंड्या
जनसत्ता 1 फरवरी, 2013: गणतंत्र दिवस की सुबह। जयपुर साहित्य उत्सव के उस सत्र का शीर्षक था ‘विचारों का गणतंत्र’। आशीष नंदी ने पहले उदाहरण देकर विस्तार से समझाया कि क्यों एक सवर्ण अभिजात का भ्रष्टाचार हमारी बनाई ‘भ्रष्टाचार’ की मानक परिभाषाओं में फिट नहीं होता और क्यों सिर्फ दलित का भ्रष्टाचार नजर आता है। इसलिए जब उन्होंने यह कहा कि भ्रष्टाचारियों का बहुमत वंचित जातियों से आता है तो उन्होंने अपनी...
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