खाद्य सुरक्षा विधेयक तभी सार्थक साबित होगा जब हम सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की खामियों को दूर कर पाएं तथा बढ़ती खाद्य महंगाई पर काबू कर सकें. इस वक्त देश में अनाज का प्रचुर भंडार है और अनुकूल मॉनसून भी, लेकिन इसके चलते हमें बेपरवाह नहीं होना चाहिए क्योंकि आने वाले वर्षों में सूखा भी पड़ सकता है . यह अन्न उत्पादन पर बहुत बुरा असर डालेगा. इन तमाम बातों के...
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खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने में राज्यों को पूरा सहयोग देगा केंद्र:प्रधानमंत्री
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वायदा किया कि खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के लिए राज्यों को सभी आवश्यक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी. सिंह ने गुजरात के बनासकांठा से देशव्यापी भ्रमण पर निकले किसानों के समूह के यहां पंहुचने पर उन्हें संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ कृषि विकास की बुनियादी जिम्मेदारी तो राज्य सरकारों की है लेकिन हम उन्हें पूरा पूरा सहयोग देते रहे हैं और देते रहेंगे. 12वीं पंचवर्षीय योजना में...
More »हेराफेरी पर कस रही आरटीआइ की नकेल
सूचना का अधिकार कानून भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई व अपने अधिकारों को पाने का माध्यम बन गया है. झारखंड के गांवों में बड़ी संख्या में लोग आरटीआइ का प्रयोग कर रहे हैं. आरटीआइ के जरिये भ्रष्टाचार का खुलासा करने या अपने अधिकारों को पाने वाले लोगों से प्रेरित होकर दूसरे लोग भी आरटीआइ का उपयोग कर रहे हैं. इस बार की आमुख कथा में पंचायतनामा ने आरटीआइ के ऐसे ही किस्सों...
More »लड़ाई को धारदार बनाने के लिए आरटीआइ संगठनों से जुड़िए
आरटीआइ आपको इतनी ताकत देता है कि अकेला आदमी भी घूस को घूंसा मार सकता है. इतना ही नहीं, सरकार को अपनी नीतियों को बदलने के लिए मजबूर भी कर सकता है, अगर वह जनहित और राष्ट्रहित के खिलाफ है, लेकिन एक सवाल बार-बार पूछा जाता कि आरटीआइ एक्टिविस्ट ऐसा करने में कितने सुरक्षित हैं? वे अपनी सुरक्षा के लिए क्या करें? हमलों से बचने के उपाय यह सच है कि अकेले...
More »गए गुरुजी काम से- राहुल कोटियाल
गया वह ज़माना जब शिक्षक पढ़ाया करते थे. अब उन्हें छत्तीस सरकारी कामों के लिए नौकरी पर रखा जाता है. राहुल कोटियाल की रिपोर्ट. 'वर्तमान शिक्षा-पद्धति रास्ते में पड़ी हुई कुतिया है, जिसे कोई भी लात मार सकता है.’ यह टिप्पणी प्रसिद्ध साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल ने अपने सबसे चर्चित उपन्यास 'राग दरबारी' में की थी. यह उपन्यास आज से लगभग पचास साल पहले लिखा गया था. यह वह दौर था जब...
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