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भगवान के घर में भेदभाव क्यों? - अद्वैता काला

शनि शिंगणापुर मंदिर या हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश का मुद्दा इन दिनों गरमा-गरम बहस का विषय बना हुआ है। इन दोनों मामलों के संदर्भ में पूजा या धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश के अधिकार को तार्किक आयाम देना बहुत ही आसान है। इस बहस का अंत जाने-अनजाने देश में पहचान की राजनीति पर ही खत्म होगा, जो कि हमारे सार्वजनिक विमर्श के केंद्र में है। धु्रवीकरण...

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घर-खेतों को ऊर्जा विकास निगम देगा भरपूर बिजली

भोपाल। ऊर्जा विकास निगम जल्द ही घर और खेतों को सौर ऊर्जा से भरपूर बिजली उपलब्ध कराएगा। इस क्रांतिकारी योजना पर काम जारी है, जो हकीकत में तब्दील की जाएगी। ये दावा किया निगम के नवनियुक्त अध्यक्ष विजेंद्र सिंह सिसोदिया ने, जो सोमवार को कार्यभार संभालने के बाद विशेष चर्चा कर रहे थे। कार्यभार ग्रहण करने वह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और बाजे-गाजे के साथ ऊर्जा भवन पहुंचे थे। निगम...

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'नेट न्यूट्रैलिटी' है जरूरी, इंटरनेट पर क्यों हो किसी का एकाधिकार?

भारत में इंटरनेट का उपयोग करनेवालों की संख्या पिछले साल ही 35.4 करोड़ से अधिक हो चुकी थी. इसमें करीब 60 फीसदी इसका इस्तेमाल मोबाइल फोन पर करते हैं. यह संख्या लगातार बढ़ रही है. लेकिन, इंटरनेट तक सभी लोगों की पहुंच समान रूप से रहे या किसी कंपनी को अलग-अलग वेबसाइट्स के लिए अलग-अलग दरें और स्पीड तय करने का एकाधिकार मिले, इस पर इन दिनों जोरदार बहस...

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बैंकों को संभालें तो सुधरेगी इकोनॉमी-- यशवंत सिंन्हा

भारत में बैंक खासतौर पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हालत अच्छी नहीं है। इसका विस्तृत ब्योरा हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी ताज़ा वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में दिया है। इस रिपोर्ट के कुछ तथ्य हमें आगाह करते हैं। हमें मालूम है कि भारतीय व्यवस्था पिछले कुछ वर्षों से अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही है। चूंकि बैंक अर्थव्यवस्था में सहायक भूमिका निभाते हैं, इसलिए खराब होती अर्थव्यवस्था के...

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जजों की नियुक्ति : अपने-अपने तर्क

कॉलेजियम सिस्टम पर चल रही बहस के दो छोर हैं। एक का दावा है कि हमारे देश के सर्वशक्तिमान न्यायाधीशों की नियुक्ति और तबादले का अधिकार कुछ न्यायाधीशों के पास केवल इसलिए रहना चाहिए, क्योंकि वे न्यायपालिका परिवार का हिस्सा होने के कारण उनके बारे में बेहतर समझ रखते हैं। दूसरा छोर कहता है कि उसमें आम जनता के नुमाइंदों की भी भागीदारी होनी चाहिए, क्योंकि न्यायाधीश केवल न्यायपालिका के...

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