निराकृत मामले 0 प्रारंभिक विवाद 04.54 लाख 0 मनरेगा प्रकरण 02.47 लाख 0 राजस्व विभाग 01.20 लाख 0 न्यायालयीन 01.80 लाख 0 बैंक व वित्तीय संस्थान 15733 0 बिजली विभाग 23621 बिलासपुर (निप्र)। राष्ट्रीय लोक अदालत ने शनिवार को सुबह 10 से शाम 5 बजे के बीच महज 7 घंटे में 7 लाख 54 हजार से अधिक परिवारों को विवादों से आजादी दिला दी है। अब इन्हें न तो पुराने मामले के लिए कोर्ट का चक्कर लगाना...
More »SEARCH RESULT
सुप्रीम कोर्ट में सामाजिक न्याय पीठ का गठन
सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक मुद्दों विशेषकर महिलाओं, बच्चों और उपेक्षित वर्ग, से सबंधित मामलों की सुनवाई के लिए विशेष सामाजिक न्याय पीठ गठित की है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों का शीघ्र निपटारा करने और संविधान प्रदत्त अधिकारों का लाभ नागरिकों को मुहैया कराने की आवश्यता है। विशेष पीठ 12 दिसंबर से हर शुक्रवार को दोपहर 2.00 बजे बैठेगी। कोर्ट ने कहा, सामाजिक न्याय के दायरे में आने वाले अनेक...
More »बराबरी का फलसफा और हम - गोपालकृष्ण गांधी
साम्यवाद का भविष्य। यह भी आज किसी लेख का विष्ाय हो सकता है क्या? कांग्रेस का भविष्य, नेहरू-गांधी परिवार का भविष्य, लोकतांत्रिकता का भविष्य, अल्पसांख्यिकता का भ्ाविष्य, स्वतंत्र विचार, स्वतंत्र लेखन, स्वतंत्र चिंतन का भविष्य, इन सब पर सोच वाजिब और लाजिम है। लेकिन साम्यवाद..? साम्यवाद करके जब कुछ रहा ही नहीं है, उस नाम के दोनों दलों माकपा और भाकपा के जब लोकसभा में सदस्य ही नहीं के बराबर हैं,...
More »नसबंदी कांड की कड़ियां- कनक तिवारी
जनसत्ता 17 नवंबर, 2014: बिलासपुर नसबंदी कांड राज्यतंत्र की क्रूरता का बेहद घिनौना उदाहरण है। केंद्र प्रवर्तित और राज्य पोषित नसबंदी कार्यक्रम को लागू करने में इतनी लोकविधर्मी विसंगतियां हैं। पर इन्हें सरकारी अहंकार समझना ही नहीं चाहता। जनसंख्या-वृद्धि पर रोक लगाने के लिए केंद्रीय शासन ने बरसों से अंतरराष्ट्रीय स्थितियों, समझौतों और समझाइशों के तहत नीतियां बनाने का प्रयत्न किया है। शासन और भद्रलोक के उपचेतन में इस मुगालते...
More »गंगा योजना बनाम विकास नीति - कृष्णदत्त पालीवाल
महाकवि कालिदास की एक प्रसिद्ध उक्ति ध्यान में आती रहती है कि संदेह के अवसरों पर अंत:करण की आवाज को प्रमाण मानना चाहिए। ठीक बात है। लेकिन आत्म-बोध, ज्ञान-बोध दोनों के बीच संदेह झूल रहा है। यह संदेह संस्कृति रूपी चित्त की खेती को बर्बाद करने का जाल बिछा रहा है। विश्वास का अंत कर रहा है और संशय का हुदहुद सभी को ढहाए दे रहा है। भारतीय जन-मानस की...
More »