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हरियाणाः धरना दे रहे किसानों के बीच पहुंचे भाजपा नेता बोले- ये सबका आंदोलन

-द वायर, पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह ने केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को अपना समर्थन दिया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उनका कहना है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन सबका आंदोलन है. वह शुक्रवार को हरियाणा के झज्जर जिले के सैंपला में किसानों के धरने में पहुंचे थे. इस धरने का आयोजन सर छोटू राम...

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विस्ट्रॉन में बवाल: मजदूरों पर पड़ रही क़ानूनों की मार

-सत्यहिंदी, कर्नाटक के कोलार जिले के नारासपुरा इलाके में स्थित ताइवान की कंपनी विस्ट्रॉन के परिसर में पिछले सप्ताह कर्मचारियों ने तोड़फोड़ की थी। इस मामले की शुरुआती जांच में यह सामने आ रहा है कि वेतन देने में कंपनी ने अनियमितता की है। नारासपुरा इलाका राज्य की राजधानी बेंगलुरु से 50 किलोमीटर दूर है।  ऐपल इंक की वैश्विक आपूर्तिकर्ता कंपनी विस्ट्रॉन ने पुलिस प्राथमिकी में आरोप लगाया कि ठेके के 5,000...

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लॉकडाउन के बाद भी भुखमरी और सिकुड़ती आय के खतरे बरकरार!

11 राज्यों के 3,994 उत्तरदाताओं के बीच एक सर्वेक्षण के प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि अधिकांश कमजोर परिवारों और समुदायों, जैसे कि एससी, एसटी, ओबीसी, पीवीटीजी, झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वाले, दिहाड़ी मजदूर, किसान, एकल महिला परिवार, इत्यादि में लॉकडाउन से पहले उनकी आय के स्तर की तुलना में सितंबर-अक्टूबर के दौरान उनकी आय कम रही है. राइट टू फूड कैंपेन और सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज (टेलीफोनिक सर्वेक्षण के...

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दलित बच्चों पर कहर बन रहा है फूलों की खेती का जहर: रिपोर्ट में खुलासा

-न्यूजलॉन्ड्री, भारत में एक तरफ छोटे किसान बेहतर आमदनी के लिए भले ही निर्यात होने वाले फूलों की खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं लेकिन दूसरी तरफ इसकी बड़ी कीमत मासूम बच्चों को चुकानी पड़ रही है. तमिलनाडु के तिरुवल्लूर जिले में बड़े पैमाने पर चमेली की खेती की जाती है, जिसमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों का उल्लंघन करते हुए प्रतिबंधित जहरीले रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है. चौंकाने वाला...

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कोविड-19 लॉकडाउन: 28 फीसदी प्रवासी मजदूरों को कमरे के किराये के लिए किया गया परेशान

-डाउन टू अर्थ, कोविड-19 को लेकर मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन से प्रवासी मजदूरों को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ी। खासकर वे मजदूर-कामगार ज्यादा परेशान हुए, जो गृह राज्य छोड़कर राजधानी दिल्ली में नौकरी कर रहे थे। अव्वल तो उनका काम-धंधा बंद हो गया था, तो रोजी-रोटी का संकट आया और उस पर मकान मालिकों के अड़ियल रवैये ने जख्म पर नमक का काम किया।  हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क (एचएलआरएन) की...

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