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अमीरी-गरीबी के बीच बढ़ता फासला

नई दिल्ली [निरंकार सिंह]। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि 11वीं योजना के अंत तक नौ फीसदी और 12वीं पंचवर्षीय योजना में 10 फीसदी विकास दर का लक्ष्य होना चाहिए। इसके साथ यह भी सुनिश्चित करना होगा कि इसका फायदा समाज के हर वर्ग को मिले। इनकी सरकार लगातार समावेशी विकास के दावे कर रही है, लेकिन उसने विकास के उन तौर तरीकों को अपनाया है, जिससे समाज में विषमता बढ़ गई है। अमीरी और...

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‘अब हर किसी को गेहूं और चावल चाहिए’- शरद पवार

  सुबह के आठ बजे हैं. लेकिन 69 वर्षीय भारत के कृषि मंत्री  शरद पवार अपने दिल्ली स्थित घर में बने ऑफिस में व्यस्त हो चुके हैं...अनाज और सब्जियों की लगातार बढ़ रही कीमतों के मुद्दे पर आलोचनाओं से घिरे पवार ने अजित साही और राना अय्यूब से उनके कार्यकाल में कृषि नीतियों पर काफी लंबी बात की. साक्षात्कार के अंश यूपीए सरकार के कार्यकाल में कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन यूपीए जब सत्ता...

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निर्माण व संचार ने बदली सूबे की तस्वीर

पटना। गुजरात के बाद देश में विकास की दौड़ में दूसरे नंबर पर रहने वाले बिहार की अर्थव्यवस्था में उछाल का मुख्य कारण निर्माण, संचार और व्यापार के क्षेत्र में दर्ज हुई तेज वृद्धि है। विधानमंडल में राज्य सरकार द्वारा गुरुवार को पेश वर्ष 2009-2010 के आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट ने इस संबंध में लगाए जा रहे अनुमानों पर मुहर लगा दी है। प्रदेश में चार सालों में प्रति व्यक्ति आय 7,443 रुपये से बढ़कर 10,415 रुपये...

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बिहार की चमत्कारिक आर्थिक वृद्धि- मिथक या यथार्थ

क्या यह बात सच है कि विकास के मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार को महज चार सालों में गुजरात के करीब पहुंचा दिया है। समाचारों की माने तो सचमुच ऐसा ही है( देखें नीचे दी गई लिंक) लेकिन आंकड़ों का विश्लेषण ऐसा कहने से इनकार करता है।   बिहार की आर्थिक प्रगति के अर्धसत्य को परोसने के लिए समाचारों में आधार बनाया गया है केंद्रीय सांख्यिकी एवम् कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय...

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निर्भर नहीं, आत्मनिर्भर !- मिहिर शाह

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) क्रांतिकारी जनपक्षधर विकास कार्यक्रमों का वायदा करती है। ग्राम सभा और ग्राम पंचायतों द्वारा उसकी योजना, क्रियान्वयन और जांच-परख से हजारों स्थायी रोजगार पैदा हो सकते हैं। लेकिन नरेगा की लड़ाई बरसों से चले आ रहे एक बुरे अतीत के साथ है। पिछले साठ सालों से ग्रामीण विकास की योजनाएं राज्य की इच्छा और सदाशयता पर ही निर्भर रही हैं। श्रमिकों को दरकिनार करने वाली मशीनों और ठेकेदारों को काम...

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