रायपुर. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के भूमि एवं वर्षा जल प्रबंधन विभाग के बंद होने के बाद से राज्य में वर्षा जल पर पांच साल से अनुसंधान बंद है। इसके विशेषज्ञों के शोध के बाद खेतों को सिचिंत करने २००३ में एक लाख डबरी बनाने का लक्ष्य तय किया गया था। इस पर काम हुआ लेकिन बाद में सरकार बदलते ही इस योजना को बंद कर दिया गया।...
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मिट्टी में मिला दिया एक करोड़ का गेहूं!
धार/मालवा-निमाड़ अंचल. मालवा-निमाड़ अंचल में करीब एक करोड़ रुपए का 8 हजार क्विंटल गेहूं खुले परिसरों में बिखर गया। समर्थन मूल्य पर इसकी आवक तो खरीदी केंद्रों पर दर्ज हुई लेकिन यह सरकार के गोदामों तक नहीं पहुंच पाया। सहकारी समितियों की यह लापरवाही मालवा-निमाड़ के तीन जिलों में ज्यादा हुई। मिट्टी में मिले इस गेहूं से 40 हजार परिवारों का एक माह तक पेट भर सकता है। सबसे अधिक गेहूं धार...
More »करोड़ों की चीनी गली
भोपाल. अगस्त 2009 में सरकार ने जमाखोरों और व्यापारियों के खिलाफ मुहिम चलाकर शक्कर जब्त की थी। उस समय दावा किया गया था कि इससे आसमान छूती कीमतों में कमी आ जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उलटा प्रदेशभर के अलग-अलग भंडारगृहों में पड़ी यह शक्कर अब खराब हो रही है। इतना ही नहीं मानसून की आमद ने इस खतरे को और ज्यादा बढ़ा दिया है। प्रदेशभर के भंडारगृहों की हालत खराब है...
More »अनाज सड़े गोदाम में, लोग खाएं चूहे
नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। उड़ीसा के कोरापुट जिले में आरटीआई कार्यकर्ता देवाशीष भंट्टाचार्य ने गरीबी का बुरा हाल देखा। वहां लोग जिंदा रहने के लिए चूहे, चींटी और पेड़ों की जड़ें खा रहे थे। जब वह भारतीय खाद्य निगम [एफसीआई] के गोदाम गए तो हैरान रह गए। तय नियमों के मुताबिक खाद्यान्न का भंडारण नहीं हो रहा था। लिहाजा अनाज खराब हो रहा था। देवाशीष ने स्थिति का पूरी तरह...
More »दक्षिण के फार्मूले पर होगा उत्तर के गरीबों का भला
नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। उत्तर भारत में भी गरीबी का मुकाबला दक्षिणी राज्यों के फार्मूले पर किया जाएगा। इसके तहत उत्तरी राज्यों में गरीबों के स्वयं सहायता समूह बनाकर उन्हें पर्याप्त मदद मुहैया कराई जाएगी ताकि वे अपने पैरों पर खड़े हो सकें। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 6.50 करोड़ परिवारों में से दो करोड़ परिवारों को इस योजना के दायरे में पहले ही शामिल कर लिया गया है। उत्तरी...
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