यह सही है कि नोटबंदी केबाद अर्थव्यवस्था कुछ मंद पड़ रही है। किंतु इससे घबराने की जरूरत नहीं है। सरकार का यह साहसिक कदम लाभप्रद सिद्ध होगा यदि आगे की नीतियां सही हों, जैसे सर्जरी के बाद मरीज को सही खुराक देने से वह स्वस्थ हो जाता है। पहला मुद्दा सरकारी खर्चों की गुणवत्ता का है। नोटबंदी से डिजिटल क्षेत्र में व्यापार बढ़ेगा। जो माल पूर्व में बिना टैक्स अदा...
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सवालों में घिरी नोटबंदी-- अनुपम त्रिवेदी
आज से एक हफ्ते बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वयं-निर्धारित 50 दिन की समय-सीमा समाप्त हो रही है. देश इंतजार कर रहा है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी के वादे के अनुसार हालात सामान्य हो जायेंगे या फिर छह महीने और लगेंगे, जैसा कि सरकार विरोधी कह रहे हैं? असमंजस की स्थिति है. आम आदमी और अर्थशास्त्री, सभी कयास लगा रहे हैं. पर, प्रश्न बहुत हैं और उत्तर कम. नोटबंदी पर...
More »स्मृति शेष : प्रकृति के पहरेदार का जाना
जाने-माने गांधीवादी और पर्यावरणविद् अनुपम मिश्र अब हमारे बीच नहीं रहे. पर्यावरण के लिए वे तब से काम कर रहे हैं, जब देश में पर्यावरण का काेई विभाग नहीं खुला था. बगैर बजट के उन्होंने देश-दुनिया के पर्यावरण की जिस बारीकी से खोज-खबर ली, वह करोड़ों रुपये बजट वाले विभागों और परियोजनाओं के लिए संभव नहीं हो पाया है. वर्ष 1948 में वर्धा में जन्मे अनुपम प्रख्यात साहित्यकार भवानी...
More »हांकने की फांस, गेहूं बना ग्रास-- अनिल रघुराज
शरद पवार जैसे बहुरंगी कलाकार की जगह उन्नीस महीने पहले जब राधा मोहन सिंह को देश का कृषि मंत्री बनाया गया, तो आम धारणा यही बनी कि जमीन से जुड़े नेता होने के नाते वे कृषि अर्थव्यवस्था ही नहीं, किसानों के व्यापक कल्याण का भी काम करेंगे. संयोग से करीब सवा साल बाद मंत्रालय का नाम भी बदल कर कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय कर दिया गया. लेकिन, उसके बमुश्किल...
More »कपास की खेती का नया बिजनेस मॉडल
भारत में अभी भी 90 फीसदी कपास की खेती पारंपरिक ढंग से होती है और खेती में जेनेटिकली मोडिफाइड सीड का उपयोग होता है. एक अमेरिकी कंपनी की मदद से भारत में ऑर्गेनिक कॉटन की खेती की जा रही है. ऑर्गेनिक कॉटन से बने कपड़ों का बाजार विकसित हो रहा है. अगर यह प्रयोग सफल हो गया तो किसानों को मुनाफा तो होगा ही, आत्महत्या की नौबत नहीं आयेगी. खरबों...
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