खेती पर सरकारी धन खर्च करने के मामले में भारत चीन से ही नहीं अपने पड़ोसी नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से भी पीछे है. इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के नये ग्लोबल फूड पॉलिसी रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक 2013 में भारत में कुल सरकारी व्यय का केवल 6 प्रतिशत हिस्सा कृषि-क्षेत्र पर व्यय हुआ जबकि भूटान ने अपने कुल सरकारी व्यय का 13.6 प्रतिशत हिस्सा कृषि-क्षेत्र पर खर्च किया बांग्लादेश के लिए...
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सूखा और जल संसाधन प्रबंध-- बिभाष
महाराष्ट्र फिर सूखे के चपेट में है. बुंदेलखंड पहले से ही समाचारों में बना हुआ है. खेती और किसानों को लेकर रोज बुरी खबरें आ रही हैं. महाराष्ट्र में पानी की कमी का लगातार तीसरा साल है. बुंदेलखंड में भी सूखे का चौथा साल चल रहा है. खेती बुरी तरह से संकट में है. दरअसल, पूरा मामला जल और भूमि के कुप्रबंध का है. देश में हर साल कहीं...
More »सफेद इमारतों के काले साये- अनिल रघुराज
जहां चाह है, वहां धंधा है और ज्यादा चाह है, वहां काला धंधा है. देश में जमीन-जायदाद या रियल एस्टेट के धंधे का सालोंसाल से यही हाल है. उद्योग संगठन फिक्की के एक अध्ययन के मुताबिक, देश में सबसे ज्यादा कालाधन रियल एस्टेट में लगा है, सोने व चांदी से भी ज्यादा. कम-से-कम अगले छह सालों तक इस धंधे में मंदी के कोई आसार भी नहीं हैं. केंद्र सरकार ने...
More »'दस साल में और बहुत सारी विधवाएं देखेंगे'- सौतिक बिस्वास
महाराष्ट्र के वाशीम ज़िले के एक गांव में रहने वाले किसान मुकुंदा वाघ ने 2009 में पहली बार कीटनाशक पीकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी. जब वो बेहोश होकर गिर गए और उनके मुंह से झाग निकलने लगा तो उनकी पत्नी ने उन्हें देखा और अस्पताल ले गईं. उस वक़्त अस्पताल में डॉक्टरों ने उनकी जान बचा ली. लेकिन तीन साल के बाद मई 2012 में क़िस्मत ने उनका साथ नहीं...
More »फसलों का नुकसान: मुआवजा पाने में कितने पेंच
क्या बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की वजह से गेहूं और चने जैसे महत्वपूर्ण रबी-फसल के नुकसान की मार झेल छह राज्यों के किसानों को इतना मुआवजा मिल पाएगा कि उनके लागत की ही भरपायी हो सके ? प्रश्न के उत्तर के नीचे लिखे तथ्य पर गौर करें. एक क्विन्टल गेहूं को उपजाने और बाजार तक पहुंचाने में किसान को 1212 रुपये की लागत आती है, एक क्विन्टल चने के लिए यही खर्च...
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