शहरीकरण को लेकर सरकार का नजरिया यह है कि इस पर सियापा करने के बजाय इसे मौके के रूप में देखा जाना चाहिए। उसके मुताबिक शहरों में गरीबी दूर करने की ताकत होती है और हमें इस ताकत को और आगे बढ़ाना चाहिए ताकि आर्थिक समृद्धि का स्वत: प्रसार हो। सुख-सुविधाओं की मौजूदगी के चलते शहर सदा से मनुष्य के आकर्षण के केंद्र रहे हैं। आज की तारीख में तो ये...
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बढ़ती महंगाई की मुसीबत - संजय गुप्त
दालों के साथ-साथ टमाटर, आलू और अन्य खाद्य पदार्थों के दामों में वृद्धि ने मोदी सरकार की चिंता बढ़ा दी है। महंगाई आम जनता को प्रभावित करने वाली सबसे बड़ी समस्या होती है, लेकिन यह आश्चर्यजनक है कि मोदी सरकार दाल और सब्जियों सरीखी आवश्यक वस्तुओं की कीमत में वृद्धि का सामना उन्हीं उपायों से करती नजर आ रही है, जो विगत में असफल साबित हो चुके हैं। बात चाहे...
More »जॉब मार्केट का बदलता चेहरा-- संदीप मानुधने
हाल ही में, एक बड़ी रोचक घटना हुई. भारत के सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन संस्थान आइआइएम अहमदाबाद ने कड़ा ऐतराज जताते हुए फ्लिपकार्ट नामक एक बड़ी ऑनलाइन कॉमर्स कंपनी से अपने कैंपस से चयनित छात्रों को देरी से 'ज्वॉइनिंग' कराने पर तुरंत नौकरी पर रखने एवं बकाया वेतन देने की मांग कर डाली! देखने में यह एक संस्थान और एक निजी कंपनी के बीच का मामला लगता है, लेकिन गहराई से विश्लेषण...
More »देश की आर्थिक विकास दर रहेगी 7.7 फीसद
नई दिल्ली। देश की आर्थिक विकास दर के चालू वित्त वर्ष 2016-17 में 7.7 फीसद रहने का अनुमान है। कृषि और औद्योगिक क्षेत्र के प्रदर्शन में सुधार का ग्रोथ को सहारा मिलेगा। लगातार दो साल कमजोर मानसून के बाद इस साल इसके अच्छे रहने की संभावनाओं ने सकारात्मक आउटलुक को बल दिया है। फिलहाल, निवेश चक्र के रफ्तार पकड़ने में छह महीने लग सकते हैं। फिक्की के इकोनॉमिक आउटलुक सर्वे...
More »पिछड़ा कहलाने की होड़ क्यों?--- अनुपम त्रिवेदी
पिछले कुछ समय से देश के विभिन्न भागों में आरक्षण की मांग लगातार उठ रही है. परंपरागत रूप से समृद्ध समझे जानेवाले वर्ग भी आज पिछड़ा कहलाने की होड़ में हैं. हरियाणा के समृद्ध जाट, दुनिया के हर हिस्से में फैले गुजरात के मेहनतकश पटेल, कभी जमींदार रहे आंध्र प्रदेश के कप्पू , गौरवशाली अतीत वाले मराठा और कभी राजसी ठाठ-बाट के मालिक रहे उत्तर प्रदेश और राजस्थान के...
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