मनरेगा केंद्रित एक नये अध्ययन में कहा गया है कि ग्रामीणों को रोजगार की गारंटी देने वाले इस कार्यक्रम से गरीबी के निवारण में मदद मिली है. नेशनल काऊंसिल ऑफ अप्लॉयड रिसर्च और यूनिवर्सिटी ऑफ मेरीलैंड द्वारा तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2004-05 से 2011-12 के बीच मनरेगा के कारण इसमें काम पाने वाले लोगों के बीच 32 प्रतिशत गरीबी घटी है. (देखें सबसे नीचे दी गई...
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किसानों की खुदकुशी के सबब- विनोद कुमार
जरा गौर कीजिए कि इसी देश में करीब अठारह-बीस करोड़ भूमिहीन दलित, अति पिछड़े मजूर हैं। उनके जीवन में यह मौका ही नहीं आता कि वे बैंक से कर्ज लें, खेती करें, उनकी फसल नष्ट हो और वे आत्महत्या कर लें। इसका अर्थ यह नहीं कि हम किसानों की आत्महत्या से पीड़ा का अनुभव नहीं करते। लेकिन इस बात को समझना तो होगा कि एक भूमिहीन किसान या मजूर आत्महत्या न...
More »किताबें तो अब भी काम की हैं- चंद्रशेखर तिवारी
ज्ञान को सर्वसुलभ बनाने में पुस्तकालय से बेहतर दूसरा विकल्प शायद ही हो सकता है। इसी बात को ध्यान में रखकर वर्ष 2005 में गठित भारतीय ज्ञान आयोग की पहल पर देश में एक स्वायत्त राष्ट्रीय पुस्तकालय आयोग की स्थापना की गई। इस आयोग की देखरेख में पुस्तकालयों के विकास, संरक्षण व संवर्धन की दिशा में कार्य किया जा रहा है। वर्तमान में देश में सार्वजनिक पुस्तकालयों के चार स्तर...
More »बिहारः घर में शौचालय नहीं तो नहीं लड़ पाएंगे पंचायत चुनाव
पटना। अब बिहार में मुखिया, जिला बोर्ड अध्यक्ष या वार्ड सदस्य बनने के लिए चुनाव लड़ने वाले शख्स के घर में शौचालय अनिवार्य हो गया है। घर में शौचालय नहीं होने की स्थिति में उम्मीदवार को बिहार के किसी भी चुनाव के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। बिहार विधानसभा में बुधवार को पारित किए गए बिहार पंचायत राज (संशोधन) बिल, 2015 में होने वाले सभी तरह के चुनावों के नियमों...
More »सदियों के अन्याय पर माफी कब- सुरेन्द्र कुमार
एक भाषण कितना बड़ा बदलाव ला सकता है! बेशक यह नेहरू के अविस्मरणीय भाषण 'नियति के साथ भारत की भेंट' और मार्टिन लूथर किंग की भावनात्मक प्रेरणा 'मेरा एक सपना है' के स्तर का न हो, लेकिन बीती 14 जुलाई को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में शशि थरूर का पंद्रह मिनट का भाषण भारत में 200 वर्षों के ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन पर हाल के दिनों का सबसे तीक्ष्ण, प्रभावशाली और कटु आलोचना...
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