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पर्यावरण की कीमत पर विकास मंजूर नहीं

बिलासपुर। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केजी बालकृष्णन ने शनिवार को कहा कि न्यायपालिका विकास और अधोसंरचना को बढ़ावा देने का विरोधी नहीं है, लेकिन यह पर्यावरण को नष्ट किए जाने की शर्त में नहीं होना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश बालकृष्णन ने आज बिलासपुर च्च्च न्यायालय परिसर में दिवंगत डीपी श्रीवास्तव की स्मृति में पर्यावरण संरक्षण में न्यायपालिका की भूमिका विषय पर आयोजित व्याख्यान में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा...

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नागरिक संगठनों का नक्सलविरोधी ऑपरेशन पर सवालिया निशान

नागिरक-संगठनों के एक जांच-दल का कहना है कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद से लड़ाई के नाम पर बड़े पैमाने पर निर्दोषों की हत्या, यातना और पुलिसिया बर्बरता को अंजाम दिया जा रहा है। जांच-दल का आरोप है कि जिन इलाकों में सुरक्षा बलों ने सशस्त्र माओवादी लड़ाकों के खिलाफ ऑपरेशन ग्रीनहंट चला रखा है वहां पत्रकारों को सुरक्षा की दुहाई देकर जाने से रोका जा रहा है। सात नागरिक संगठनों के एक...

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आर-पार से पहले मंझधार- बीटी बैंगन का विवाद

बीटी बैंगन  की खेती को जेनेटिक इंजीनियरिंग  एडवाइजरी कमिटी की हरी  झंडी मिलने के साथ एक बार  फिर आनुवांशिक रुप से प्रवर्धित बीजों के इस्तेमाल का  सवाल मीडिया की सुर्खियों में है।जेनेटिक इंजीनियरिंग एडवाइजरी कमिटी वन और पर्यावरण मंत्रालय से जुड़ी एक नियामक संस्था है। वैज्ञानिक की टोली वाली इस समिति ने पिछले १४ अक्तूबर को बीटी बैंगन की व्यावसायिक खेती को निरापद करार देते हुए हरी झंडी दे दी थी।     बीटी बैंगन की खेती को निरापद करार देने के समिति...

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एक जनजाति जिसे दिल्ली ने बिसारा लेकिन लंदन अपनाया....

उड़ीसा के डोंगरिया कोंढ़ जनजाति के हकों की नुमाइन्दगी कर रहे जन संगठनों को जिस फैसले की उम्मीद एक साल पहले भारत के सुप्रीम कोर्ट से थी वह फैसला इस बार ब्रिटिश सरकार ने सुनाया है।ब्रिटेन की सरकार ने अपनी नामचीन कंपनियों (एफटीएसई-१००) में शुमार वेदांत रिसोर्सेज को उड़ीसा के डोंगरिया कोंढ जनजाति के मानवाधिकारों के साथ खिलवाड़ करने पर फटकार लगाई है और कहा है कि कंपनी को अपना...

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ग्रामीण इलाकों में फिर से दिखाई देने लगे परिंदे

लुधियाना। पंजाब में हरित क्राति के बाद कृषि मित्र पक्षियों की संख्या में अचानक कमी हो गई। कारण था छायादार पेड़ों की संख्या में कमी और कमाई के लिए लगाए गए नुकीले पेड़ों पर घोंसलों का असुरक्षित होना। इसी के चलते गटार, लालड़ी , छोटी चिड़िया (हाउस स्पैरो), चक्कीराहा (हुप्पू), कठफोड़वा (वुडपेकर), नीलकंठ (ब्ल्यू जे), छोटा व बड़ा उल्लू जैसे पक्षियों की संख्या लगातार कम होने लगी। हालाकि, इसके पीछे...

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