लखनऊ। सरकारी अस्पतालों में लगने वाली लंबी-लंबी लाइनें, प्राइवेट अस्पतालों के बढ़ते खर्चे के बीच सभी की निगाहें देश के अगले बजट पर हैं। क्या प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की हालत सुधारने के लिए बजट में खास व्यवस्था होगी? देश भर में स्वास्थ्य सेवाओं पर जारी होने वाली रिपोर्ट 'नेशनल हेल्थ प्रोफाइल-2018' के अनुसार देश में 37,725 सरकारी अस्पतालों में 7,39,024 बेड हैं। करीब 10 हजार लोगों पर सिर्फ एक एलोपैथिक...
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नरेगा संघर्ष मोर्चा 2020-21 में नरेगा के लिए पर्याप्त बजट की मांग करता है
जैसे कि भारतीय अर्थव्यवस्था दुर्बल हो रही है, सरकार राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) के कामकाज में सुधार के लिए हाल ही में नोबेल पुरुस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी सहित कई प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों द्वारा दी गई सलाह को नज़रअंदाज़ कर रही है। अर्थव्यवस्था को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। भारत में वर्तमान समय में पिछले 45 वर्षों में सर्वाधिक बेरोजगारी की दर हैऔर खाद्य मुद्रास्फीति नवंबर 2019 में दो अंको पर पहुंच गई है , जो पिछले 71 महीनो में सर्वाधिक है । सरकार के स्वयं...
More »विषमता का विकास
पिछले कई सालों से एक जो नारा सबसे ज्यादा प्रचारित रहा है वह है ‘सबका साथ सबका विकास’! चूंकि खुद भाजपा सरकार की ओर से यह नारा सबसे ज्यादा प्रचारित किया गया है, इसलिए कायदे से अपेक्षा यह थी कि देश के सभी तबकों के लोगों को विकास के तमाम अवसरों में बराबर की सहभागिता मिलती और इस तरह विकास ज्यादा समावेशी होता। लेकिन यह बेहद निराशाजनक तस्वीर है कि...
More »अरहर किसानों को नहीं मिल रहा समर्थन मूल्य, दालों का आयात 47 फीसदी बढ़ा
आयात सस्ता होने के कारण किसानों को मंडियों में अरहर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 6,00 से 750 रुपये प्रति क्विंटल नीचे दाम पर बेचनी पड़ रही है जबकि चालू वित्त वर्ष 2019-20 के पहले आठ महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान दालों का आयात 47.12 फीसदी बढ़कर 22.51 लाख टन हो गया है। दलहन कारोबारी एस चंद्रशेखर नादर ने बताया कि सोमवार को गुलबर्गा मंडी में अरहर 5,050 से 5,200...
More »डेयरी किसानों के लिए यह महंगाई अच्छी है
“देश के अधिकांश हिस्से में गोरक्षा की नीति नुकसानदेह रही, क्योंकि किसानों के लिए दूध नहीं देने वाले गोवंश को संभालना मुश्किल हो गया है” सरकारें और नीति-निर्माता जनता की वाहवाही लूटने और अपने राजनैतिक हित साधने के लिए कुछ ऐसे फैसले करते हैं, जो दूसरों पर भारी पड़ते हैं, लेकिन वे खुद इसका कोई बोझ नहीं उठाना चाहते। ऐसा ही मामला दूध की कीमतों से जुड़ा हुआ है। पिछले दिनों...
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