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65 हजार करोड़ के निवेश से हो गये वंचित

झारखंड में जब तक जमीन की समस्या का कोई रास्ता नहीं निकलता, इस राज्य को विकसित राज्य बनाना मुश्किल होगा. राज्य बनने के बाद अनेक कंपनियों ने झारखंड आना चाहा, लेकिन अधिकांश को जमीन नहीं मिल पायी. एमओयू होते गये लेकिन ये जमीन पर नहीं उतारे गये. 37 स्टील कंपनियों ने तो एमओयू वापस ले लिया या रद्द कर दिया. अगर ये कंपनियां यहां लग गयी होती तो न सिर्फ...

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किसान के अस्तित्व की लड़ाई- योगेन्द्र यादव

टेलीविजन चैनलों ने किसान को याद किया, ताकि पूरा देश किसान को भूल सके! यही किसान और खेती की त्रासदी है. क्या किसान आंदोलन इस त्रासदी को पलट सकेंगे? असली त्रासदी यह नहीं कि गजेंद्र नाम का एक और किसान अब इस दुनिया में नहीं रहा, उसके मां-बाप ने अपने बुढ़ापे का सहारा खो दिया और बच्चों ने अपना पिता. असली त्रासदी है कि किसानों की आत्महत्या का यही सिलसिला...

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बात निकली है तो दूर तलक जाएगी - भवदीप कांग

गजेंद्र सिंह की मौत का राजनीतिकरण इस पूरे प्रकरण का सबसे दु:खद पहलू था। हो सकता है उसकी आत्महत्या 'जेनुइन" हो। यह भी हो सकता है, जैसा दिल्ली पुलिस का मानना है कि उसकी आत्महत्या महज एक दुर्घटना हो, एक नाटकीय प्रसंग। लेकिन गजेंद्र की मौत इन मायनों में अपने लक्ष्य को अर्जित करने में जरूर कामयाब रही कि उसने किसानों की दुर्गति की ओर पूरे देश का ध्यान आकृष्ट...

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क्यों खुदकुशी कर रहे हैं किसान- विनय सुल्तान

सारी पार्टियां गजेंद्र सिंह की खुदकुशी पर गमगीन दिखने की होड़ में शामिल हैं। अगर उनके आंसू सच्चे हैं तो वे बाकी किसानों की सुध क्यों नहीं ले रही हैं? महाराष्ट्र में सिर्फ चार महीनों में सैकड़ों किसानों ने अपनी जान ले ली। गजेंद्र सिंह राजस्थान का था। मगर राज्य के किसानों पर छाए संकट का वह अकेला उदाहरण नहीं था। कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ में हाल में तीस से...

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'कुछ दिन और पानी में रहे तो हम भी गजेंद्र हो जाएंगे'

ओंकारेश्वर। हम हमारा अधिकार मांग रहे हैं... मेरी जमीन पर मूंग की फसल बोई थी, यहां पानी भर दिया है। अब मैं क्या करुं कुछ समझ में नहीं आ रहा। कुछ दिन और पानी में रहे तो हम भी गजेंद्र हो जाएंगे। यह दर्द भरी बात घोघलगांव जल सत्याग्रह के 16वें दिन आंदोलनकारी रमेश कड़वाजी ने कही। उन्होंने कहा कि मैं बाकी किसी की बात नहीं करता। मेरे खेत का मुझे...

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