पंचायत निकाय राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कर वसूल सकते हैं, उन्हें दो स्तरों पर कर में भागीदारी भी मिलने की व्यवस्था है, जिससे वे अपने क्षेत्र के विकास कार्य करवा सकते हैं. पंचायत प्रतिनिधियों व ग्रामीणों के लिए यह जरूरी है कि वे पंचायत निकायों के वित्तीय अधिकारों को भी जानें. ताकि अपने अधिकारों का ज्यादा कारगर ढंग से संरक्षण कर सकें. तो आइए जानें झारखंड पंचायती राज अधिनियम...
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‘ऐसे कानून के लिए हम विकास दर बढ़ने का इंतजार करते रहें, यह जरूरी तो नहीं’
खाद्य सुरक्षा विधेयक पर अलग-अलग खेमों से अलग-अलग प्रतिक्रिया आ रही है. सामाजिक कार्यकर्ता इसकी तारीफ कर रहे हैं तो कॉरपोरेट जगत इस पर चिंतित है. अर्थशास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता ज्यां द्रेज, रेवती लॉल को बता रहे हैं कि क्यों देश को इस कानून की जरूरत है और इसमें कौन-सी खामियां हैं जो दूर होनी चाहिए. खाद्य सुरक्षा विधेयक ने तमाम आशंकाएं पैदा कर दी हैं. पहली आशंका यह है कि देश के...
More »गए गुरुजी काम से- राहुल कोटियाल
गया वह ज़माना जब शिक्षक पढ़ाया करते थे. अब उन्हें छत्तीस सरकारी कामों के लिए नौकरी पर रखा जाता है. राहुल कोटियाल की रिपोर्ट. 'वर्तमान शिक्षा-पद्धति रास्ते में पड़ी हुई कुतिया है, जिसे कोई भी लात मार सकता है.’ यह टिप्पणी प्रसिद्ध साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल ने अपने सबसे चर्चित उपन्यास 'राग दरबारी' में की थी. यह उपन्यास आज से लगभग पचास साल पहले लिखा गया था. यह वह दौर था जब...
More »चल नहीं रेंग रहा साक्षरता कार्यक्रम
हर साल आठ सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर सरकारी कार्यक्रम का आयोजन होता है. स्कूलों में प्रभात फेरी निकाली जाती है. बच्चों से नारे लगवाये जाते हैं- आधी रोटी खायेंगे फिर भी स्कूल जायेंगे. पत्ता-पत्ता अक्षर होगा हर कोई साक्षर होगा आदि-आदि. इसके बाद प्रखंड, जिला एवं राज्यस्तर पर सम्मेलन होता है. इसमें अफसर एवं नेता आते हैं. भाषण देते हैं. निरक्षरता को मानव समाज के लिए कलंक बताते...
More »40 देशों में राजनीतिक दल करते हैं आय का खुलासा
नई दिल्ली। फ्रांस, इटली, जर्मनी और जापान सहित 40 देशों में राजनीतिक दलों को कानून के तहत अपनी आय का स्रोत, संपत्तियों और देनदारियों का अन्य रिकार्ड के साथ खुलासा करना होता है। एक अंतरराष्ट्रीय एनजीओ की रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है। कामनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव (सीएचआरआइ) की रिपोर्ट के अनुसार स्वीडन और तुर्की जैसे देशों में राजनीतिक दलों में स्वैच्छिक व्यवस्था है जिसमें वे अपने रिकार्ड सार्वजनिक करते हैं। इन देशों...
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