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औपनिवेशिक दंश झेलती जनजातियां-- प्रमोद मीणा

वर्ष 1871 में औपनिवेशिक भारत में ब्रिटिश सरकार ने भारत की कुछ खानाबदोश और अर्द्ध खानाबदोश जनजातियों को आपराधिक जनजाति अधिनियम (क्रिमिनल ट्राइबल एक्ट) पारित करके जन्मजात अपराधी घोषित कर दिया। मुख्यधारा के समाजों से दूर रहने वाली इन जनजातियों को पुश्तैनी रूप से अपराधी मानते हुए उन्हें गैर-जमानती अपराध के दायरे में ला दिया गया। इन जनजातीय समुदायों में थे बावरिया, पारधी, कंजर, सांसी, बंजारा, गरासिया, सहरिया आदि। ये...

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मौसम की मार झेलने वाली स्वास्थ्य सेवा बनाएं-- डा. पूनम खेत्रपाल

मुंबई में बुधवार को भारी बारिश ने फिर कहर ढहाया, जबकि अमेरिका अन्य देशों में चक्रवातीय तूफानों ने विकसित देशों में भी आपदा प्रबंधन के साथ स्वास्थ्य रक्षा के उपायों की कलई खोल दी है। यह सच है कि जलवायु परिवर्तन अब अपना असर दिखाने लगा है। ऐसे में इसके प्रभावों का पूर्वानुमान लगाकर अचानक आने वाली आपदाओं ही नहीं, डेंगू जैसे कई रोगों के फिर लौटने से निपटने की...

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हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी सालभर से खाली हैं शीर्ष संवैधानिक संस्थाएं

धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। प्रदेश की कई संवैधानिक संस्थाएं लंबे समय से प्रभारियों के भरोसे चल रही हैं। हाईकोर्ट ने भी कई बार सरकार को लोकायुक्त संगठन और मानवाधिकार आयोग जैसी संस्थाओं में पूर्णकालिक मुखिया की नियुक्ति करने के निर्देश दिए, लेकिन सरकार ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। प्रदेश का शीर्ष संवैधानिक राज्यपाल का पद भी बीते एक साल से खाली है। लोकायुक्त का पद खाली सरकार का दावा...

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आधार के प्रयोग को रोकना उचित नहीं-- हरिवंश

यह बौद्धिक विमर्श और संवाद अपनी जगह है, पर बिचौलियों और भ्रष्टाचार को खत्म करना आज समाज की निगाह में व्यवस्था का सबसे प्रासंगिक और जरूरी मसला नहीं है? हाल ही में एक डच दार्शनिक विचारक व इतिहासकार रटजर बर्जमैन की महत्वपूर्ण किताब आयी है, ‘यूटोपिया फॉर रिअलिस्ट्स' (ब्लूम्सबेरी). यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेस्टसेलर मानी गयी है. इस पुस्तक का मर्म है कि हम एक अप्रत्याशित उथल-पुथल के दौर में...

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मोबाइल नंबर को जारी रखने के लिए आधार-नंबर जरुरी नहीं-- पढ़िए क्या हैं कारण !

"सेवा जारी रखने के लिए अपना नंबर आधार से जोड़िए. भारत सरकार के मुताबिक मोबाइल सेवा जारी रखने के लिए ऐसा करना जरुरी है!" क्या ऐसा कोई संदेश आपके मोबाइल सेट पर आया है ? क्या आप इस बात से परेशान हैं कि पहचान और निवास का प्रमाणपत्र देने के बाद मोबाइल नंबर मिला था तो फिर उसे आधार-नंबर से जोड़ने के लिए क्यों कहा जा रहा है ? अगर आपके...

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