साल 2017 समाप्ति पर है, लेकिन नई सदी के उपजाए सरदर्द घट नहीं रहे। पाकिस्तान में हर दो-तीन महीनों के भीतर कट्टरपंथी गुट उदारवादी लोकतांत्रिक मूल्यों को मानव बम से उड़ा रहे हैं। म्यांमार में बौद्ध बहुसंख्य जनता द्वारा रोहिंग्या मुस्लिमों को जबरन भेड़-बकरियों की तरह देश से बाहर हांक दिया गया है और वे हर पड़ोसी देश की सीमा पर बेघर बने डांय-डांय डोल रहे हैं। पहले से ही...
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बढ़ती अशांति और भ्रांति से बेचैन - मृणाल पांडे
साल 2017 समाप्ति पर है, लेकिन नई सदी के उपजाए सरदर्द घट नहीं रहे। पाकिस्तान में हर दो-तीन महीनों के भीतर कट्टरपंथी गुट उदारवादी लोकतांत्रिक मूल्यों को मानव बम से उड़ा रहे हैं। म्यांमार में बौद्ध बहुसंख्य जनता द्वारा रोहिंग्या मुस्लिमों को जबरन भेड़-बकरियों की तरह देश से बाहर हांक दिया गया है और वे हर पड़ोसी देश की सीमा पर बेघर बने डांय-डांय डोल रहे हैं। पहले से ही...
More »दुनिया से जुड़ने का हमारा अधिकार -- हरजिंदर
मान लीजिए, आपकी तबीयत खराब है और आप डॉक्टर के पास जाने के लिए टैक्सी बुलाते हैं। टैक्सी वाला बताता है कि अगर आप फलां डॉक्टर के पास जाते हैं, तो आपको टैक्सी का इतना किराया देना पड़ेगा और अगर दूसरे के पास जाते हैं, तो किराया कुछ ज्यादा लगेगा। उसकी लिस्ट में एक ऐसे डॉक्टर का नाम भी है, जिसके पास अगर आप जाएं, तो वह आपको मुफ्त...
More »तंग नज़रिये के प्रतीकों का पोषण-- एस निहाल सिंह
फिल्म पद्मावती को लेकर छिड़ा विवाद एक बड़ी समस्या की ओर इशारा करता है। केंद्र में 2014 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद से अभिव्यक्ति की आजादी तथा अपने अंदाज़ में ज़िंदगी जीने के लिए जगह सिकुड़ती जा रही है। दूसरा, सार्वजनिक बातचीत में सतहीपन आ गया है, जबकि कांग्रेस के शासनकाल में ऐसा नहीं होता था। इसके कारण कहीं दूर तलाश करने की जरूरत नहीं। आरएसएस के...
More »अंदेशे के भय से अतिरंजित प्रतिक्रिया - ए. सूर्यप्रकाश
पहली नजर में संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती के सामूहिक विरोध के पीछे कोई तर्क नजर नहीं आ रहा है। प्रदर्शनकारियों ने स्वयं कबूला है कि उन्होंने अभी तक इस फिल्म को नहीं देखा है, लेकिन उत्तर भारत के राज्यों में खासकर राजपूत समुदाय और अन्य हिंदू जातियों के लोग सड़कों पर आकर फिल्म को प्रतिबंधित करने की मांग कर रहे हैं। उनकी चिंता इस बात को लेकर ज्यादा...
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