केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2015-16 के लिए सार्वजनिक कर्ज की ब्याज अदायगी के लिए 4,55,145 करोड़ रुपये रखे हैं। इसमें तेल विपणन कंपनियों और फर्टीलाइजर कंपनियों के लिए दी गई विशेष प्रतिभूतियां शामिल हैं। फर्टिलाइजर कंपनियों को दी जाने वाली कुल सब्सिडी 72,968 करोड़ रुपये है, जिनमें से छठा हिस्सा आयातित यूरिया के लिए रखा गया। हमारी खाद्य सब्सिडी की कुल लागत 1,24,419 करोड़ की है, इसमें 64,919 करोड़...
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अंत्योदय अन्न योजना- विवादित प्रावधान से पीछे हटी सरकार
अंत्योदय अन्न योजना में शामिल ढाई करोड़ लोगों के लिए आखिरकार राहत भरी खबर हैं. सरकार ने बीते मार्च महीने में उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा जारी उस प्रावधान को हटा लिया है जिसमें नए परिवारों को नए अंत्योदय कार्ड जारी नहीं करने की बात कही गई थी.(देखें नीचे दी गई लिंक संख्या-1) केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के 20 मार्च के एक आदेश में प्रावधान...
More »दूषित भोजन से हर साल 1,75,000 मौतें
कोलकाता. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार दूषित भोजन खाने से दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में हर साल 1,75,000 लोगों की मौत होती है और 15 करोड़ से अधिक लोग बीमार पड़ते हैं. रिपोर्ट के अनुसार पांच साल से कम उम्र के हर दस में से तीन बच्चे डायरिया से पीड़ित होते हैं जो क्षेत्र के बच्चों के मौत के कारणों में प्रमुख हैं. संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य...
More »कीमतें कम हों या ज्यादा नुकसान हमेशा किसान का-- अमित मोहन प्रसाद
हाल ही में अरहर की दाल की कीमतें 200 रुपए प्रति किलो तक जा पहुंचीं। उपभोक्ताओं के अलावा सरकार को भी नहीं समझ आया कि वे क्या करें। बहुत पुरानी बात नहीं है, जब प्याज की ऊंची कीमतों ने आम लोगों के आंसू निकाल दिए थे। इन दोनों ही मामलों में बिचौलियों और दुकानदारों ने जमकर मुनाफा कमाया। लेकिन किसी ने सोचा कि किसानों को क्या फायदा मिला? दाल और...
More »हिमालयी विकास का मॉडल- सुरेश भाई
हिमालय बचाओ! देश बचाओ! सिर्फ नारा नहीं है, बल्कि यह हिमालय क्षेत्र में भावी विकास नीतियों को दिशाहीन होने से बचाने का भी रास्ता है। चिपको आंदोलन के दौरान पहाड़ की महिलाओं ने नारा दिया कि मिट्टी, पानी और बयार! जिंदा रहने के आधार! और ऊंचाई पर पेड़ रहेंगे! नदी ग्लेशियर टिके रहेंगे! ये तमाम नारे पहाड़ के लोगों ने दिए हैं। हिमालयी क्षेत्रों के लोगों, सामाजिक अभियानों तथा आक्रामक...
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