जनसत्ता 21 जून, 2013: पिछले सालों में बरसात का मौसम उत्तराखंड के लिए तबाही का मौसम साबित हुआ है। अबके मानसून की पहली बारिश ही उत्तरकाशी, केदारनाथ, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और बागेश्वर में बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन का मंजर लेकर आई है। जबकि अभी बरसात का पूरा मौसम बाकी है। यों तो आंख मूंद कर इन आपदाओं को सिर्फ प्राकृतिक माना जा सकता है और आपदा-राहत में...
More »SEARCH RESULT
दंडकारण्य का दावानल- कनक तिवारी
जनसत्ता 29 मई, 2013: सुकमा से राष्ट्रीय शोक का एक मर्मांतक ज्वालामुखी पैदा हुआ है। कांग्रेस के काफिले पर नक्सलियों ने घात लगाकर अंधाधुंध फायरिंग की। उसमें पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं समेत करीब तीस लोग मारे गए। बस्तरिहा घाटियों में माओवादियों द्वारा यह पहला नरसंहार नहीं था। माओवादी वर्षों से अपनी क्रूरता के घिनौने कारनामे अंजाम दे रहे हैं। ताजा हमला विशेष मायने रखता है। कांग्रेसी राजनीतिकों का काफिला...
More »जंगल-जमीन बचाने के लिए सतपुड़ा में आंदोलन- बाबा मायाराम
इन दिनों सतपुड़ा के जंगलों के आदिवासी आंदोलित हैं। इसकी एक झलक होशंगाबाद में जब दिखाई दी तब आदिवासियों के जोशीले नारों से यहां की गलियां गूंज उठीं। दूरदराज के गांवों से सैकड़ों की तादाद में यहां आकर आदिवासियों ने जता दिया कि शेर पालने के नाम पर उनकी रोजी-रोटी पर लगाई जा रही रोक उन्हें मंजूर नहीं है। इसका पूरी ताकत से विरोेध किया जाएगा। इस जुलूस का फौरी असर...
More »अपनी छोड़ दूसरे की खेत में कर रहे हैं मजदूरी, 10 साल में 3 लाख लोग ने छोड़ी है किसानी
रायपुर। छत्तीसगढ़ बनने के बाद प्रदेश में तीन लाख किसानों ने खेती छोड़ दी है। इतना ही नहीं राज्य में 10 साल पहले जहां 30 लाख लोग दूसरे के खेतों में मजदूरी करते थे। वहीं अब इनकी संख्या बढ़कर 50 लाख हो गई है। हालांकि इस अवधि में यहां की कुल आबादी में 47 लाख की वृद्धि हुई है। उस समय राज्य की आबादी 2.08 करोड़ थी जो बढ़कर अब 2.55 करोड़ हो...
More »सुधारों की दिशा और आम आदमी( पू्र्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के जन्मदिवस पर प्रभात खबर की विशेष प्र?
भारत में आर्थिक सुधारों को लागू किये जाने के 22 वर्ष बाद भी इस पर मंथन का दौर जारी है. पिछले दो दशकों के अनुभव हमें बता रहे हैं कि आर्थिक उदारीकरण के पैरोकारों ने जिस स्वर्णिम भविष्य का हमसे वादा किया था, वह सच्चाई से दूर, छल से भरा हुआ और भ्रामक था. इन वर्षों में आर्थिक उदारीकरण विकास के चमचमाते आंकड़ों पर सवार होकर हम तक जरूर आया,...
More »