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भारत में औसत से 50% तक कम कमाते हैं घर से काम करने वाले कामगार: आईएलओ

-डाउन टू अर्थ, हाल ही में आईएलओ द्वारा प्रकाशित नई रिपोर्ट 'वर्किंग फ्रॉम होम: फ्रॉम इनविसिबिलिटी टू डीसेंट वर्क' से पता चला है कि भारत में घर से काम करने वाले कामगार औसत से 50 फीसदी तक कम कमाते हैं। इसी तरह अर्जेंटीना और मेक्सिको में भी घर से काम करने वालों की आय, बाहर काम करने वालों की तुलना में 50 फीसदी तक कम होती है। वहीं, दक्षिण अफ्रीका में 25...

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अगले 80 वर्षों में दोगुनी हो जाएगी गंभीर सूखे से पीड़ितों की संख्या

-डाउन टू अर्थ, अगले 80 से भी कम वर्षों में गंभीर सूखे से पीड़ित लोगों की संख्या दोगुनी हो जाएगी। जिसके लिए जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या में हो रही वृद्धि जिम्मेवार है। यह जानकारी मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा किए अध्ययन में सामने आई है। पता चला है कि जहां 1976 से 2005 के दौरान विश्व की करीब 3 फीसदी आबादी गंभीर सूखे का सामना कर रही थी, जो सदी के अंत...

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कोविड-19 के बाद आर्थिक असमानता की ओर देश के बढ़ते कदम!

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा अक्टूबर 2020 में जारी द वर्ल्ड इकोनोमिक आउटलुक नामक छमाही प्रकाशन ने अनुमान लगाया है कि 1990 के दशक के बाद से देशों द्वारा गरीबी को कम करने के लिए की गई आर्थिक प्रगति सर्वव्यापी महामारी कोविड -19 से प्रभावित हुई है. यह तय है कि कोविड-19 के बाद भी आर्थिक असमानता में बढ़ोतरी होगी क्योंकि संकट ने महिलाओं, अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों और कम...

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9 से 18 मीटर तक गिर सकता है झीलों का जल स्तर

-डाउन टू अर्थ, लगातार बढ़ते जलवायु संकट के कारण दुनिया भर में समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है और इनके किनारे रहने वाले लोगों के लिए खतरा बढ़ गया है। यदि अन्य क्षेत्रों की बात करे तो बढ़ता तापमान बिल्कुल विपरीत प्रभाव डाल रहा हैं। जल स्तर गिर रहा है और बड़े पैमाने पर समस्याएं भी पैदा कर रहा है, सभी क्षेत्रों में इसके परिणाम समान रूप से गंभीर हैं।...

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साहित्य में विद्धता और रसिकता को अलग करके देखने का पूर्वाग्रह व्यापक है

-सत्याग्रह, विद्वत्ता और रसिकता साहित्य में, साहित्य की आलोचना और अध्यापन में विद्वत्ता को अक्सर सूखी और रसिकता को आर्द्र मानने का पूर्वाग्रह व्यापक है. पर ऐसे मुक़ाम, सौभाग्य से हमारे यहां रहे हैं जब विद्वत्ता और रसिकता किसी एक ही व्यक्ति में, लगभग आवयविक रूप से संलग्न, प्रगट हुए हैं. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल आधुनिक आलोचना के परिसर में सबसे पहले हैं. वे अधीत (शिक्षित) विद्वान थे और गहरे रसिक भी. दशकों...

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