कल्पना करें कि बड़े पैमाने पर सर्वर डाउन या पॉवर फेल की स्थिति में क्या होगा? या अगर विध्वंसक इरादों वाले किन्हीं उन्मादियों ने डिजिटल तंत्र पर कब्जा कर लिया तो क्या परिणाम होंगे? डिजिटल क्रांति के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसके कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था का केंद्र उत्पादन के स्थान पर वितरण की ओर खिसक रहा है। पहले एक अच्छी खबर : डिजिटल क्रांति अभी शुरू ही...
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एफडीआई (आर्थिक विधेयक) ठंडे बस्ते में नहीं : मुखर्जी
नई दिल्ली, 23 नवंबर (एजेंसी) वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने आज कहा कि सरकार आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने के प्रति वचनबद्ध है और आर्थिक महत्व के विधेयकों पर राजनीतिक आम सहमति बनाने में लगी है। मुखर्जी ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार ने बहु ब्रांड खुदरा दुकानदारी के क्षेत्र में विदेशी कंपनियों को प्रवेश देने के प्रस्ताव को भले ही टाल दिया गया हो, पर इसे ‘ठंडे बस्ते’ में...
More »डरबन से क्या हासिल हुआ- अजय झा
जनसत्ता 20 दिसंबर, 2011: डरबन में जलवायु संकट पर अपने निश्चित समय से छत्तीस घंटे देर तक चली अंतरराष्ट्रीय शिखर वार्ता की सबसे खास बात यह थी कि किसी भी महत्त्वपूर्ण पहलू पर समझौता हुए बिना इसके परिणाम को एक बड़ी कामयाबी की तरह पेश किया गया। बकौल आयोजक और विकसित देश, समझौता अत्यधिक सफल रहा। मंत्री मशाबेन, जो कि वार्ता की अध्यक्ष थीं, ने पिछली अध्यक्ष मैक्सिको की पैट्रीशिया...
More »डरबन से आगे की डगर- सुनील यादव
दक्षिण अफ्रीका के डरबन शहर में आयोजित संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से लौटने के बाद अब विभिन्न देशों ने ‘क्या खोया- क्या पाया’ का आकलन शुरू कर दिया है। ऐसे में हम पाते हैं कि पर्यावरणीय चिंता के वैश्विक सवाल पर यूरोपीय संघ जहां विजेता की मुद्रा में है, वहीं हमारा देश ‘अड़ियल’ का खिताब लेकर लौटा है। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन समझौते के अंतर्गत 1992 में ब्राजील के रियो...
More »मंदी की आहट- परंजय गुहाठाकुर्ता
देश की अर्थव्यवस्था जिस तेजी से नीचे जा रही है, उसके कई निहितार्थ हैं। अभी डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड गिरावट तक पहुंच गया है। गिरते-गिरते रुपया पहली बार ५३ के स्तर तक पहुंचा है। औद्योगिक उत्पादन का सूचकांक (आईआईपी) भी गिरकर अक्तूबर में -५.१ प्रतिशत पर आ गया है। औद्योगिक उत्पादन में शामिल सभी क्षेत्रों में कमोबेश गिरावट देखी गई है। इतना ही नहीं, इस वर्ष देश का...
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