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घरेलू महिला हिंसा पर चुप्पी अब और नहीं

मित्रो, महिलाओं के प्रति हिंसा की घटनाओं पर देश-दुनिया में जितनी चिंता की जा रही है, घटनाओं की संख्या उतनी ही बढ़ रही है. इसकी बड़ी वजह है सामाजिक हस्तक्षेप की कमी. दिल्ली गैंग रेप जैसी बड़ी घटना जब होती है, तब देश भर में लोग सड़कों पर उतर आते हैं. मीडिया से न्यायपालिका तक की सक्रियता बढ़ जाती है. जनसंगठन और राजनीतिक दल भी जनाक्रोश के साथ होते हैं. यह उचित...

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न्याय की नई मरीचिका- विकास नारायण राय

जनसत्ता 7 नवंबर, 2013 : स्त्रियों के उत्पीड़न का एक और क्षेत्र कानून की गिरफ्त में आने को है। पुरुष वर्चस्व के नजरिए से बेहद नाजुक ‘इज्जत’ के नाम पर होने वाली हत्या का मसला फिलहाल उच्चतम न्यायालय के रडार पर है। अगर यौनिक हिंसा, लैंगिक उत्पीड़न का सर्वाधिक अपमानजनक रूप रही है तो ‘इज्जत’ हत्याएं इसका सर्वाधिक बर्बर रूप होती हैं। इसी तरह, घरेलू हिंसा में स्त्री का दासत्व...

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संज्ञेय अपराध में प्राथमिकी दर्ज करना अनिवार्य- न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने आज व्यवस्था दी कि संज्ञेय अपराध में पुलिस के लिए प्राथमिकी दर्ज करना अनिवार्य है और ऐसे अपराध के लिए शिकायत मिलने पर मामला दर्ज नहीं करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि यदि पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने में अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई तो इसके सार्वजनिक...

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आरटीआइ में आम आदमी की ताकत

मित्रो, सूचना का अधिकार पर हम लगातार बात करते रहे हैं. इस अधिकार के लागू हुए आठ साल पूरे हो गये. हमारे कई पाठकों और आरटीआइ एक्टिविस्टों ने इसे जनतंत्र के खास अवसर के रूप में याद किया. इन आठ सालों में आम से लेकर खास और गैर सरकारी से लेकर सरकारी लोगों ने इस कानून का अपने-अपने हित और हिसाब से खूब किया. इसका अनुभव भी विस्तृत रहा. इस अनुभव को...

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सूचना के अधिकार के सात साल- एक जायजा प्रगति का..

आजादी के बाद से अबतक शासन को पारदर्शी बनाने के लिए जो प्रयास हुए उसमें सूचना का अधिकार सबसे महत्वपूर्ण कदम है। बहरहाल, इस कानून की उल्लेखनी सफलता महज 0.3 फीसदी भारतीयों तक सीमित है। देश की आबादी में बस इतनी ही तादाद सूचना के अधिकार के तहज अर्जी डालती है। सोचिए, उस स्थिति में क्या होगा जब देश की एक या दो फीसदी आबादी अपने शासकों की जवाबदारी तय करने के लिए आरटीआई...

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