-न्यूजलॉन्ड्री, बात मनरेगा के बहाने सामाजिक सुरक्षा की, आखिर क्यों पूरी दुनिया में धुर पूंजीवाद की वकालत करने वाले शासक भी संकट के समय साम्यवादी हो जाते हैं. 20 लाख करोड़ के विशेष पैकेज के तहत एक बड़ा हिस्सा (40,000 करोड़ रुपए) वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने मनरेगा योजना में खर्च करने की घोषणा की है. यह हिस्सा केद्रीय बजट में घोषित मनरेगा फंड के अतिरिक्त होगा. खुद को बड़े गर्व से सोशली...
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60 दिन का लॉकडाउन बनाम 60 साल के पर्यावरणीय प्रोटोकॉलः कुछ नीतिगत सुझाव
-जनपथ, कोविड-19 महामारी के चलते वैश्विक लॉकडाउन ने भले ही तमाम देशों की अर्थव्यवस्था और सामाजिक ढांचे को अस्त-व्यस्त कर दिया हो लेकिन पर्यावरण के लिए यह काल बहुत सुखद साबित हुआ है. विश्व भर से आ रहे तमाम आंकड़ों से स्पष्ट हो रहा है कि विगत 60 दिनों में पर्यावरणीय स्थिति में जो सुधार देखने को मिला है वह 60 वर्षों में किये गये तमाम प्रयासों और जलवायु परिवर्तन के...
More »आत्मनिर्भरता के अर्थ और अनर्थ
-डाउन टू अर्थ, महात्मा गांधी ने भारत के नीति निर्माताओं और सुधारकों को जंतर देते हुए कहा था कि - "... जो सबसे कमजोर और गरीब आदमी तुमनें देखा हो, उसे याद करो और अपने दिल से पूछो कि जो कदम उठाने का तुम विचार कर रहे हो, वह उस आदमी के लिए कितना उपयोगी होगा। क्या उसे कुछ लाभ पहुंचेगा ? क्या उससे वह अपने जीवन और भाग्य पर कुछ...
More »रेड जोन में रहते हैं बैंकों के दो तिहाई कर्जदार
-इंडिया टूडे, कोविड-19 के असर से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए सरकार की ओर से घोषित 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज की आज तीसरी किस्त आ गई. सरकार की ओर से अब तक जारी राहत पैकेज के केंद्र में बैंक हैं, नकदी है और कर्ज है. सरकार की कोशिश यह है कि सिस्टम में नकदी का प्रवाह कर उसे बैंकों के रास्ते जनता तक पहुंचाया जाए. यही दवा रेहड़ी वालों...
More »कोविड-19: लॉकडाउन ने बिगाड़ी ग्रामीण भारत की दशा
-डाउन टू अर्थ, एक महीना पहले तक धनीराम साहू को नहीं पता था कि वायरस या सोशल डिस्टेंसिंग किस बला का नाम है। साहू छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के शंकरदह में रहते हैं। वह कहते हैं, “अब हर कोई कोरोनावायरस और इससे खुद को महफूज रखने की बात करता दिख रहा है।” दुनियाभर के तमाम विज्ञानियों और एपिडेमियोलॉजिस्ट की तरह साहू को भी इस वायरस के बारे में बहुत जानकारी नहीं...
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