जनसत्ता 22 अगस्त, 2014 : वित्तमंत्री अरुण जेटली के अनुसार आम लोगों के लिए बवालेजान बनी महंगाई का सीधा संबंध बाजार में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति से है। भारतीय शासकों का यह जाना-माना तर्क रहा है, जो जनता को बरगलाने वाले अगले पाखंड की जमीन भी तैयार करता है। शासकों का अगला तर्क होता है कि आम लोगों की जरूरत की चीजों की आपूर्ति जमाखोरों ने रोक रखी है और...
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रियायत किसे और मुनाफा किसका? - विजय सिंघवी
भाजपा की राष्ट्रीय परिषद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में विकसित देशों के दबाव के आगे नहीं झुकने के अपने निर्णय को जायज ठहराया। उनका तर्क था कि हम खाद्यान्न सबसिडी में ज्यादा कटौती करते हुए देश के लाखों छोटे किसानों की आजीविका को जोखिम में नहीं डाल सकते थे। उनकी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मोदी के इस विचार का पुरजोर स्वागत किया। जहां तक...
More »बागवानी की सब्जियां मुरझाई, वाइरस और फंगस का प्रकोप
वीरेंद्र भट्ट, पेटलावद। इस वर्ष मिर्च, करेला, भिंडी, तुरई, चौलाई आदि सब्जियों में वाइरस और फंगस का भंयकर प्रकोप हुआ है। खेत में इन फसलों के खड़े पौधे मुरझा कर काले पड़ गए हैं। महंगे फंगीसाइड व अन्य वाइरस नियंत्रक कीटनाशक छिड़कने के बाद भी समस्या का कोई हल नहीं निकल रहा है। कर्ज से परेशान किसान फसल को उखाड़ने को मजबूर हैं। भारी पड़ रही आधुनिक खेती। पेटलावद क्षेत्र नकद फसल...
More »फसल बीमा में 200 करोड़ सीधे बीमा कंपनियों की जेब में
नईदुनिया एक्सक्लूसिव, रायपुर (ब्यूरो)। फसल आधारित बीमा में किसानों की मेहनत की कमाई की 200 करोड़ रु. से अधिक की राशि निजी बीमा कंपनियों की जेब में जाने वाली है। ऐसा सरकार से कृषि ऋण लेने वाले किसानों पर जबरिया लादी गई फसल बीमा योजना की वजह से होने वाला है। इस बात को लेकर किसान खासे चिंतित हैं कि उन्हें बीमा की शर्तों के हिसाब से क्षतिपूर्ति नहीं मिलने...
More »फूलों की खेती से हुए मुनाफे ने पाटा किसानों का कर्ज
सुमेधा पुराणिक चौरसिया, इंदौर। आदिवासी इलाकों के किसानों के लिए फूलों की खेती मुनाफे का धंधा साबित हुई। जो किसान गेहूं-चना-सोयाबीन के अलावा कुछ दूसरा बोने की सोच ही नहीं पाए थे। वे अब नई तकनीक से जुड़कर फूलों की खेती कर रहे हैं। कम खर्च में बडा मुनाफा होने से यह खेती किसानों को कर्ज से उबारने में मिल का पत्थर साबित हुई। चोरल के आसपास के करीब पांच...
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