हिमालय की अनदेखी शुरू से ही हो रही है। बार-बार केंद्र पर निर्भर हिमालयी राज्यों का तंत्र हिमालय की गंभीरता और हिमालय से चल सकने वाली स्थायी जीवन शैली और जीविका को भी भुलाते जा रहे हैं। आयातित परियोजनाओं ने हिमालय में अतिक्रमण, प्रदूषण और आपदा की स्थिति पैदा कर दी है जिसके फलस्वरूप हिमालय टूट रहा है। हिमालय न केवल भारत, बल्कि दक्षिण एशिया के सभी देशों के लिए जल...
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शहरीकरण की विसंगतियां--- रमेश कुमार दूबे
शहरीकरण को लेकर सरकार का नजरिया यह है कि इस पर सियापा करने के बजाय इसे मौके के रूप में देखा जाना चाहिए। उसके मुताबिक शहरों में गरीबी दूर करने की ताकत होती है और हमें इस ताकत को और आगे बढ़ाना चाहिए ताकि आर्थिक समृद्धि का स्वत: प्रसार हो। सुख-सुविधाओं की मौजूदगी के चलते शहर सदा से मनुष्य के आकर्षण के केंद्र रहे हैं। आज की तारीख में तो ये...
More »सोलर पावर प्लांट लगायें-- भरत झुनझुनवाला
सरकार द्वारा न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) की सदस्यता हासिल करने के पुरजोर प्रयास किये जा रहे हैं. इस सदस्यता के हासिल होने के बाद दूसरे देशों से हमें यूरेनियम मिल सकेगा, जो परमाणु ऊर्जा का मुख्य ईंधन है. अपने देश में यूरेनियम कम ही उपलब्ध है. अतः परमाणु ऊर्जा के उत्पादन के लिए इस ग्रुप की सदस्यता अति आवश्यक है. ऊर्जा के चार प्रमुख स्रोत हैं- सोलर, न्यूक्लियर, थर्मल एवं...
More »एफडीआई के बाद विनिवेश करने निकलेगी केंद्र सरकार
नई दिल्ली। देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) से जुड़े अहम कदम उठाने के बाद केंद्र सरकार की नजर अब विनिवेश के क्षेत्र में सुधार को आगे बढ़ाने पर है। सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी बेचने के काम को सरकार अब ज्यादा दिनों तक नहीं लटकाएगी। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने की कमान संभाल ली है। मोदी ने सोमवार को प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त...
More »जरूरी है जूट को सरकारी संरक्षण-- पंकज चतुर्वेदी
सीएसीपी यानी कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की ताजा सिफारिशें जूट के किसानों के लिए आफत बन सकती हैं। आयोग का कहना है कि चीनी मिलों में शत-प्रतिशत जूट के बोरे के इस्तेमाल की मौजूदा नीति को बंद कर दिया जाए तथा खाद्य पदार्थों में नब्बे फीसद जूट की अनिवार्यता को पचहत्तर फीसद किया जाए। अगर ऐसा हुआ तो बंगाल का जूट किसान भूखों मर जाएगा। यही नहीं, जूट कारखानों व...
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