-मीडियाविजिल यह तथ्य है जिससे हम आंख चुरा नहीं सकते कि आज ही के दिन महात्मा गांधी की हत्या हुई थी। और यह सच है जिससे हम आंख मिलाना नहीं चाहते कि इस हत्या के बाद हम सबने गांधी के विचारों की हत्या लगातार की है। अपनी हत्या के बाद गांधी इस देश के नेताओं की जुबान पर रहे। कुछ ने उनके नाम को मीठी गोली की तरह चुभलाया, जिससे उनकी राजनीति...
More »SEARCH RESULT
मोटे अनाज की प्रोसेसिंग से बना सकते हैं 60 से अधिक उत्पाद
एक समय था जब दक्षिण भारत और उत्तर भारत के कई राज्यों में मोटे अनाज की खेती होती थी, लेकिन कम उत्पादन, मार्केट की समस्या से किसानों ने मोटे अनाज की खेती से मुंह मोड़ लिया। लेकिन एक बार फिर किसान इसकी खेती की तरफ लौट रहे हैं। भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक किसानों को सावां, कोदो, कुटकी, ज्वार, बाजरा जैसे मोटे अनाज से उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दे रहे...
More »आज विवेकानंद को नये कट्टर हिन्दूत्व के दार्शनिक योद्धा के रूप में बदल दिया गया है
दोनों हाथों को मोड़कर छाती से सटाये और नेपोलियन की तरह टकटकी लगाकर कठोर मुद्रा बनाये स्वामी विवेकानंद हिन्दू धार्मिक प्रथाओं में दमन देखकर मानसिक वेदना के कारण विक्षिप्तता की ओर बढ़ रहे थे।विवेकानंद को निजी प्रेरणा मानने वालों में नरेंद्र मोदी अकेले व्यक्ति नहीं है। मगर कोई यह बताने सक्षम नहीं दिखता कि उनकी कौन से विचार प्रेरणा देते हैं अथवा प्रभावित करते हैं। हिन्दू धर्म के प्रवृत्तियों को जानने...
More »मोदी-शाह की भाजपा ने देश के युवाओं को नाउम्मीद तो किया ही, उससे लड़ने पर भी उतारू हो गई
प्रतिस्पर्धी खेलों में लीग, सीनियर, जूनियर आदि कई स्तर की प्रतिस्पर्धाएं होती हैं. खिलाड़ी का रुतबा इस बात से तय होता है कि वह किस स्तर की प्रतिस्पर्धा में खेलता है. जो नीचे उतरकर निचले स्तर की प्रतिस्पर्धा में ‘बच्चा’ खिलाड़ियों से मुक़ाबला करता है वह अपना रुतबा ही घटाता है. यहां हम इस कसौटी पर अपनी सियासत को कसेंगे, खासकर भाजपा की सरकार को, कि वह छात्रों के आंदोलन...
More »इन नीतियों से कृषि नहीं उबरेगी
“नीतियों का फोकस बदलें और प्रतिबंधों से मुक्त कर किसान को अपनी बुद्धिमानी से चयन करने दें” कृषि क्षेत्र की नीतियां बनाने में खाद्य सुरक्षा पर फोकस रहा है। यह वाजिब भी है क्योंकि देश में खाद्य वस्तुओं की कमी और आयात पर निर्भरता से निपटने के लिए हरित क्रांति इसी वजह से शुरू की गई। वाजिब कीमत पर खाद्य पदार्थों की उपलब्धता हमारी नीतियों के केंद्र में रही और बाद...
More »