बाजार में मंदी का वातावरण है. महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के सीमेंट विक्रेता ने बताया कि उसकी बिक्री 40 प्रतिशत कम हुई है. सूरत के टैक्सी वाले के ग्राहकों में कमी आयी है. अब उसकी टैक्सी माह में 6-7 दिन ही चलती है. बाकी खड़ी रहती है, चूंकि बाहर के व्यापारी कम ही आ रहे है. बाजार में मांग के दो स्रोत हैं- घरेलू एवं विदेशी. लेकिन इस समय दोनों...
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ताकि न आए 'नि:शब्द' होने की नौबत - गिरजाशंकर
प्रदेश के किसान अभी जिस बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं, उन्हें उस हाल में पहुंचाने के लिये सूखा ही जिम्मेदार नहीं। इसमें सरकारी तंत्र की नाकामियों की भी बड़ी भूमिका है। यह तथ्य हाल ही में उच्चाधिकारियों के गांव दौरे के उस अनुभव से जाहिर होता है, जिससे स्वयं मुख्यमंत्री रूबरू हुए। किसान इतने परेशान हैं कि लगभग हर दिन प्रदेश के किसी न किसी इलाके से किसानों...
More »'बैंक-बीमा कंपनियां ठग रहे हैं किसान को'-- योगेन्द्र यादव
किसानों के लिए फ़सल का बीमा सुनने में बहुत अच्छा विचार लगता है लेकिन असल में जब किसान बैंक से क़र्ज़ लेता है तो बिना उससे पूछे, बिना उसकी अनुमति लिए ज़बर्दस्ती उसके अकाउंट से पैसा काटकर बीमा करवा दिया जाता है. बीमा करवाना है या नहीं इसका फ़ैसला किसान नहीं ले सकता. बीमा किस कंपनी से करवाना है, किन शर्तों पर करवाना है यह भी किसान के हाथ में नहीं....
More »'अब किसान हजामत भी नहीं बनवाते !'-- अजय शर्मा
लातूर के सोनावटी गांव के हज्जाम चंद्रकांत बाबू परेशान हैं. अब उनकी दुक़ान पर उतने किसान हजामत बनवाने नहीं आते जितने दो साल पहले आते थे. चंद्रकांत का धंधा आधा रह गया है. मराठवाड़ा के इस गांव में इस साल बारिश सामान्य से आधी हुई है. सूखे के बावजूद इस साल लोगों ने गन्ना उगाने की कोशिश की ताकि वो पिछले साल के नुक़सान की भरपाई कर सकें, मगर हो गया उल्टा. बीबीसी...
More »कैसे करें सूखे का सामना-- बाबा मायाराम
पिछले साल किसान सूखे की मार झेल चुके हैं। इस साल फिर सूखा पड़ गया। जबकि कुछ वर्षों से किसान निरंतर संकट में हैं। उनकी हालत पहले से ही खराब है। इस वर्ष सूखे ने उन्हें गहरे संकट में डाल दिया है। भारतीय मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही निकली है। खुद कृषि मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है कि सामान्य से पंद्रह-सोलह फीसद कम बारिश हुई। इससे खरीफ की फसल...
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