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विकास के कोलाहल में- अरविन्द कुमार सेन

देश में सामाजिक-आर्थिक और जातीय जनगणना (एसइसीसी) के अलग-अलग पहलुओं पर बहस चल रही है। कुछ जानकार इस तथ्य की तरफ इशारा कर रहे हैं कि इस जनगणना ने भारतीय अर्थव्यवस्था के कई स्याह हिस्सों पर रोशनी डाली है। विकास के कोलाहल में स्याह हिस्सों को कोई भी सरकार नहीं देखना चाहती। चाहे वह कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए सरकार रही हो, जिसने इस जनगणना के आंकड़ों को जानबूझ कर...

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हमारी संपदा, हमारा अधिकार-- अनिल प्रकाश जोशी

इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन ऐंड मैन्युफैक्चरिंग (ईएसडीएम), एयरोस्पेस ऐंड डिफेंस, पर्यावरणीय प्रौद्योगिकी एवं अक्षय ऊर्जा जैसी उच्च तकनीकों के क्षेत्रों में भारत का बाजार वर्ष 2020 तक 550 से 600 डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। इससे अगले पांच वर्षों में देश के उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग में 140 अरब डॉलर का निवेश होगा और ऊंचे वेतन वाली तीन करोड़ नौकरियों का सृजन होगा। ये तकनीकें वैश्विक मूल उपकरण उत्पादकों (ओईएम) के...

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बिजली की राह में सब्सिडी का झटका- नूर मुहम्मद

मोदी सरकार ने वायदा किया है कि अगले पांच वर्षों में हर घरों में चौबीस घंटे बिजली पहुंचाई जाएगी। इसके लिए उन्होंने पारेषण (ट्रांसमिशन) संबंधी बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए मेगा योजना की शुरुआत भी की है। लेकिन बिजली वितरण कंपनियों की अनिश्चित वित्तीय हालत इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य की राह में बड़ी रुकावट साबित हो सकती है। स्थिति यह है कि सार्वजनिक क्षेत्र के ऋणदाताओं से 1.93 लाख...

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जनगणना से मिलते संकेत- अरविन्द मोहन

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जिस तरह जनगणना के जातिवार आंकड़ों के बारे में तत्काल सफाई दी और उसे लगभग ठंडे बस्ते में डाल दिया, उसके पीछे बड़ा कारण बिहार विधानसभा का चुनाव था। अब बिहार में जातिवार जनगणना के आंकड़ों की मांग बड़ा चुनावी मुद्दा बन गई है। कई लोग यह भी कहने लगे हैं कि जरूरी नहीं कि जातिवार आंकड़ों की मांग लालू-नीतीश की जोड़ी को फायदा पहुंचाए और...

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राजनीतिक दलों की भी हो जवाबदेही- देवेन्द्र सिंह अस्वाल

सांविधानिक और वैधानिक व्यवस्था से क्या राजनीतिक दल परे हैं या उन्हें भी उसी सांविधानिक या कानूनी व्यवस्था का पालन करना जरूरी है, जिसका वे निर्वाचन आयोग को आश्वासन देते हैं और जिनकी मजबूती के लिए वे मतदाताओं से 'मत' की अपेक्षा करते हैं? हैरानी की बात है कि जो राजनीतिक दल पारदर्शिता, लोकतांत्रिक व्यवस्था और कानून के राज की दुहाई देते हैं, वे सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून से...

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