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गांवों में नर्सें पूरी करेंगी डाॅक्टरों की कमी- अदिति टंडन

एमबीबीएस डॉक्टरों की नियुक्ति ग्रामीण क्षेत्रों में अनिवार्य करने का मामला भले ही अटका हो, लेकिन सरकार ने गांवों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी पूरी करने के लिए विशेषज्ञ नर्सों का नया कैडर बनाने की तैयारी कर ली है। इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय 2 नये स्पेशल कोर्स शुरू करने जा रहा है। इनसे न सिर्फ नयी और मौजूदा नर्सों को करियर में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा, वहीं ग्रामीणों को...

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अभिव्यक्ति की आजादी की सीमा-- नीलांजन मुखोपाध्याय

नई दिल्ली के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में चल रहे राजनीतिक विवाद का भिन्न-भिन्न कोणों से विश्लेषण किया जा सकता है। संसद हमले के षड्यंत्रकारी या कश्मीर की आजादी या पाकिस्तान के पक्ष में नारे लगाने का समर्थन कोई नहीं करेगा, ऐसा करना भी नहीं चाहिए। अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब यह नहीं कि छात्र इसकी सीमा का अतिक्रमण करें। लेकिन इसी आधार पर अफजल गुरु की बरसी पर एक...

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अर्थव्यवस्था की कमजोर कड़ी बने सरकारी बैंक

नई दिल्ली। केंद्र सरकार भले ही यह दावा कर रही हो कि भारत अभी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था है और आंकड़ों में यह दावा सही भी है। लेकिन सरकारी बैंकों की माली हालत देख कर ऐसा नहीं लगता। जानकारों का कहना है कि सरकारी बैंक देश की अर्थव्यवस्था की सबसे कमजोर कड़ी बन चुके हैं। दिसंबर, 2015 को समाप्त तिमाही में देश के 11 प्रमुख सरकारी बैंक...

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नीति आयोग : एक साल का सफर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2014 को अपने पहले स्वतंत्रता दिवस संबोधन में कहा था कि वे योजना आयोग की जगह नयी संस्था बनाना चाहते हैं. इस घोषणा के अनुरूप, 1 जनवरी, 2015 को उन्होंने नीति आयोग बनाने की घोषणा की. इस नयी संस्था से देश को काफी अपेक्षाएं हैं. इसे जहां व्यापार, स्वास्थ्य, कृषि, ग्रामीण विकास, शिक्षा तथा कौशल विकास जैसे मसलों पर ज्ञान के सृजन और...

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फंदा ऋण का, फांस बचत की-- अनिल रघुराज

हम ही हम हैं सब जगह. हमारे बिना किसी का काम नहीं चलता. न सरकार की सत्ता चलती है और न ही कंपनियों और बैंकों का धंधा. टैक्स से रूप में मिला जनधन ही सरकार की संजीवनी है और लोगों से मिली जमा ही बैंकों का मूलाधार है. लेकिन विचित्र कालिदासी व्यवस्था है कि सभी अपने मूलाधार को ही काटने में जुटे हैं. इसे रोकने के सरंजाम जरूर हैं. लेकिन...

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