केंद्रीय बजट 2021-22 को 'पारदर्शी' क्यों कहा जा रहा है, इसको समझने के लिए साल 2021-26 के लिए 15वें वित्त आयोग की मुख्य रिपोर्ट और केंद्रीय बजट 2021-22 को एक साथ पढ़ा जाना चाहिए. लेकिन पहले, हम 'उर्वरक सब्सिडी' के बारे में चर्चा करते हैं. केंद्रीय बजट 2021-22 के बजट दस्तावेज बताते हैं कि 'उर्वरक सब्सिडी' पर खर्च साल 2020-21 में 1,33,947 करोड़ रुपए (संशोधित अनुमान) से घटाकर साल 2021-22 (बजट...
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किसान आंदोलन पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं: क्या सरकार ने किया ओवररिएक्ट
-आउटलुक, किसानों के विरोध प्रदर्शन पर पॉप आइकॉन रिहाना और जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के ट्वीट का जवाब देकर भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता द्वारा तिल का ताड़ बनाना संतोषजनक नहीं है। वहीं सरकार गुरुवार को एक कदम और आगे बढ़ गई। दिल्ली पुलिस ने स्वीडिश किशोरी के खिलाफ "आपराधिक साजिश और धर्म के आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देने" का आरोप लगाते हुए एक प्राथमिकी दर्ज की। हालांकि, दिल्ली...
More »आंदोलन लोरी नहीं है, वह सत्ता को झकझोरने के लिए ही किया जाता है
-द वायर, जो तय नहीं हुआ था, वह नहीं किया जाना चाहिए था. यह एक सामान्य स्वीकृत सिद्धांत है. लेकिन ऐसा अगर नहीं हुआ तो इसके लिए कौन सी परिस्थितियां जिम्मेदार हैं उनके बारे में बात किए बिना किसी घटना को समझा नहीं जा सकता. 26 जनवरी को किसान आंदोलन में शामिल लोगों के एक हिस्से ने तय रास्ते से अलग हटकर ट्रैक्टर जुलूस निकाला और दिल्ली के अलग अलग रास्तों से...
More »तीन-चौथाई जरूरतमंद परिवारों को सितम्बर 2020 में नहीं मिला मुफ्त राशन: सर्वे
-डाउन टू अर्थ, सितम्बर 2020 में तीन-चौथाई जरूरतमंद गरीब परिवारों को मुफ्त राशन नहीं मिला था, जबकि वो उसके पात्र थे। यह जानकारी अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी द्वारा किए सर्वेक्षण में सामने आई है। यही नहीं सर्वे के मुताबिक जन धन खाताधारकों में से 30 फीसदी पात्र खाताधारकों को उनके खाते में सहायता राशि नहीं मिली है। लॉकडाउन के बाद देश में रोजगार की स्थिति को समझने के लिए अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी ने...
More »बजट का सबसे महत्वपूर्ण भाग जिसके बारे में कोई चर्चा नहीं है
-न्यूजलॉन्ड्री, 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्र सरकार के वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करेंगी. तब तक आने वाले दिनों में मीडिया में ऐसे अनेक लेख होंगे जो वित्त मंत्री को बजट में क्या करना चाहिए, इस पर सलाह देते मिलेंगे. राजनेता, अर्थशास्त्री, विश्लेषक और पत्रकार सभी अपनी-अपनी समझ से महत्वपूर्ण कदम बताएंगे. इनमें से अनेक लेखों के साथ दिक्कत यह है कि लेखक बजट का मुख्य उद्देश्य भूलते...
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