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यहां गांव के बच्चे करते हैं अंग्रेजी में गिटपिट

नई दुनिया,जबलपुर। दूसरी क्लास में पढ़ने वाले अजय कोल की जिंदगी बदली-बदली सी है। मिट्टी में खेलते अस्त-व्यस्त से गांव के दूसरे छोटे बच्चों से वह कुछ अलग है। साफ-सुथरा। बातें भी समझदारी वाली। मजदूर माता-पिता का यह बेटा 'वाट इज योर नेम' जैसे अंग्रेजी के अन्य दूसरे सवालों के जवाब देना भी जानता है। कक्षा आठ में पढ़ रही नेहा गोंटिया ने भी अपने रहन-सहन का तरीका बदल लिया...

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यहां जन्म लेते ही अग्निपरीक्षा से गुजरते हैं नवजात

विकास पांडेय, कोरबा। उरगा-करतला मार्ग पर एक ऐसा गांव भी है, जहां के नवजात शिशुओं को जन्म लेते ही एक भीषण अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ता है। यहां के आदिवासी समुदाय के लोग अपने एक से 10 दिन के दूधमुहे बच्चों के पेट में लोहे की गर्म सीक से दाग दिलाते हैं। उनका मानना है कि इस तरह नवजातों को सर्दी-जुकाम व पेट की बीमारियों से हमेशा के लिए निजात मिल...

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सर्व शिक्षा अभियान के 606 करोड़ मिले, अब तक 30 फीसदी राशि ही मिली

रांची: वित्तीय वर्ष 2014-15 में सर्व शिक्षा अभियान के लिए 1937 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. इसमें से अब तक करीब 30 फीसदी राशि यानी 606 करोड़ रुपये ही मिले हैं. जबकि वित्तीय वर्ष पूरा होने में लगभग साढ़े चार माह बचे हैं. राशि नहीं मिलने के कारण कई प्रमुख योजनाएं शुरू नहीं हो सकी हैं. राज्य में कक्षा एक से आठ तक लगभग 48 लाख बच्चों को नि:शुल्क...

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मुंबई की झुग्गी में शिक्षा की अलख जगाते सुपरहीरो अंकल

फिरोज अशरफ ने बीस साल पहले नौकरी छोड़ दी थी। उनके पढ़ाए बच्चे आज झुग्गियों से निकलकर बड़े बैंक अधिकारी और वकील बन गए हैं। 73 वर्षीय फिरोज अशरफ जोगेश्वरी की झुग्गी बस्तियों के बच्चों के लिए सुपरहीरो अंकल से कम नहीं हैं। उम्र के इस पड़ाव पर आकर फिरोज का कहना है कि जब तक हाथ-पांव चल रहे हैं, बच्चों को पढ़ाता रहूंगा। 1997 से अब तक 5000 से ज्यादा...

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मुंबई की झुग्गी में शिक्षा की अलख जगाते सुपरहीरो अंकल

73 वर्षीय फिरोज अशरफ जोगेश्वरी की झुग्गी बस्तियों के बच्चों के लिए सुपरहीरो अंकल से कम नहीं हैं। उम्र के इस पड़ाव पर आकर फिरोज का कहना है कि जब तक हाथ-पांव चल रहे हैं, बच्चों को पढ़ाता रहूंगा। 1997 से अब तक 5000 से ज्यादा बच्चे उनसे शिक्षा ले चुके हैं। फिरोज बताते हैं, उनका मकसद शिक्षा की उस कमी को पूरा करना है जो सरकारी स्कूलों की अनदेखी के...

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